बचपन से सुनती आ रही हूं आत्मा अमर है, इसे न मारा जा सकता ,न काटा जा सकता, न नष्ट किया जा सकता। वैज्ञानिक भले ही इसे न माने लेकिन कभी - कभी लगता है ,बात सच भी हो सकती। यह तो मरने के बाद ही पता चलता होगा और मरने वाले आकर कुछ बताते नहीं।इसका मतलब है आत्मा की जानकारी मरने पर ही मिलेगी ,मरने पर मिल भी गई तो फिर आपको सुनाऊंगी कैसे?
बहुत से प्रदशर्न अधूरे रह जाते ,ज़िन्दगी के पास उसके ज़बाब नहीं है शायद। मैं अपना सुनाऊं तो मुझे लगता यह जो जिन्दगी मिली है यह पहली बार नहीं है। न जाने कितनी बार हमने जन्म लिया कितने बार मरे हैं। इस जनम में जो हमारे माता - पिता है हो सकता पिछले जन्म में वह मेरे बच्चें रहे हो ? गीता भी यही कहती अत्मा भर्ती नहीं हमारा भौतिक शरीर मरता है। एक शरीर छूटते ही हमें दूसरा शरीर मिल जाता है। अब सवाल है तो लोग जानेवाले के लिए रोते क्यों है? यह पुराना शरीर छूटने पर नया वस्त्र के माफिक हमें दूसरा शरीर मिल जाता । फिर सब मरना क्यों नहीं चाहते ? नए वस्त्र से तो हमें खुशी मिलती फिर क्यों पुराने शरीर से जुड़े रहते हैं हम। दरअसल शरीर को अपना मानकर मुहब्बत कर बैठते हैं । यही कारण है हमें इसे छोड़ना अच्छा नहीं लगता।
अब जरा सोचकर देखें क्या ऐसा नहीं होता, कोई आदमी आपका कुछ न बिगाड़ा हो, फिर भी वह आपको पसन्द न आता हो। उससे बातें करनी बुरी लगती हो ? मैंने इसे महसूस किया है और इसपर अक्सर सोचा भी है कि आखिर क्यूं मुझे उस आदमी से चिढ़ होती जबकि उस भले मानुष ने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा होता है। दूसरी तरफ आप पाएंगें कोई ऐसा शख्स है जिसे आपने पहली बार देखा है फिर भी आप उससे बातें करते रहना चाहते हैं।ज्यादा से ज्यादा समय आप उसके साथ रहना चाहते हैं। वह आपके लिए कुछ न ही करें,तो भी अच्छा लगता है।आखिर क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं जिसे आप पसंद नहीं करते पिछले जन्म में आपकी कोई दुश्मनी रही हो?? दूसरी तरफ जो यूं ही आपको पसन्द, जिससे आपको कुछ लेना देना नहीं तो कोई तो बात होगी । मुझे लगता यह बात ही अपने आप में कम नहीं हमारा सम्बन्ध इस जन्म का नहीं पिछले जन्म का है।
अब चलें सिक्के के दूसरे पहलूं देखें। मुझसे अगर कोई पूछे क्या देखना चाहती हूं? मेरा ज़बाब होगा - किला ,महल । अब मैं जब सोचती तो लगता आखिर क्यों? इतने मनोरम दृश्य, नदी ,पहाड़ ,झड़ने को छोड़कर आखिर एक टूटे फूटे किले ,खंडहर बने महल क्यों?
यह जो आपकी पसंद है न वह आपके बारे में बहुत कुछ कह जाती है। आपको ऐसा नहीं लगता कोई पूर्व जन्म का रिश्ता है इन किले ,महलों और आपके बीच में।
अब आते हैं सपनों पर ऐसा देश ऐसी नगरी जिसका आपने नाम सुना हो देखा तक नहीं हो, आपके सपने में आकर आपको आपके पिछले जन्म की यादें दिलाते हैं।
विज्ञान की मानें तो जो हम दिन में सोचते हैं, या हमारी वैसी इच्छा जो पूरी नहीं हो पाती उसे ही सपने में देखते हैं। अब जरा सोचिए कोई सपना देखता है हर दिन देखता है कि वह ऊंचे पहाड़ से गीरने वाला है, या फिर नदी में डूबे रहा है तो क्या वह पहाड़ से गिरने की या पानी में डूबने की इच्छा रखता है। नहीं कदापि नहीं जरूर यह आत्मा के अमरता की ओर इशारा करता है। आत्मा और शरीर अलग है इसकी ओर इशारा करता है।
बहुत से प्रदशर्न अधूरे रह जाते ,ज़िन्दगी के पास उसके ज़बाब नहीं है शायद। मैं अपना सुनाऊं तो मुझे लगता यह जो जिन्दगी मिली है यह पहली बार नहीं है। न जाने कितनी बार हमने जन्म लिया कितने बार मरे हैं। इस जनम में जो हमारे माता - पिता है हो सकता पिछले जन्म में वह मेरे बच्चें रहे हो ? गीता भी यही कहती अत्मा भर्ती नहीं हमारा भौतिक शरीर मरता है। एक शरीर छूटते ही हमें दूसरा शरीर मिल जाता है। अब सवाल है तो लोग जानेवाले के लिए रोते क्यों है? यह पुराना शरीर छूटने पर नया वस्त्र के माफिक हमें दूसरा शरीर मिल जाता । फिर सब मरना क्यों नहीं चाहते ? नए वस्त्र से तो हमें खुशी मिलती फिर क्यों पुराने शरीर से जुड़े रहते हैं हम। दरअसल शरीर को अपना मानकर मुहब्बत कर बैठते हैं । यही कारण है हमें इसे छोड़ना अच्छा नहीं लगता।
अब जरा सोचकर देखें क्या ऐसा नहीं होता, कोई आदमी आपका कुछ न बिगाड़ा हो, फिर भी वह आपको पसन्द न आता हो। उससे बातें करनी बुरी लगती हो ? मैंने इसे महसूस किया है और इसपर अक्सर सोचा भी है कि आखिर क्यूं मुझे उस आदमी से चिढ़ होती जबकि उस भले मानुष ने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा होता है। दूसरी तरफ आप पाएंगें कोई ऐसा शख्स है जिसे आपने पहली बार देखा है फिर भी आप उससे बातें करते रहना चाहते हैं।ज्यादा से ज्यादा समय आप उसके साथ रहना चाहते हैं। वह आपके लिए कुछ न ही करें,तो भी अच्छा लगता है।आखिर क्यों ? कहीं ऐसा तो नहीं जिसे आप पसंद नहीं करते पिछले जन्म में आपकी कोई दुश्मनी रही हो?? दूसरी तरफ जो यूं ही आपको पसन्द, जिससे आपको कुछ लेना देना नहीं तो कोई तो बात होगी । मुझे लगता यह बात ही अपने आप में कम नहीं हमारा सम्बन्ध इस जन्म का नहीं पिछले जन्म का है।
अब चलें सिक्के के दूसरे पहलूं देखें। मुझसे अगर कोई पूछे क्या देखना चाहती हूं? मेरा ज़बाब होगा - किला ,महल । अब मैं जब सोचती तो लगता आखिर क्यों? इतने मनोरम दृश्य, नदी ,पहाड़ ,झड़ने को छोड़कर आखिर एक टूटे फूटे किले ,खंडहर बने महल क्यों?
यह जो आपकी पसंद है न वह आपके बारे में बहुत कुछ कह जाती है। आपको ऐसा नहीं लगता कोई पूर्व जन्म का रिश्ता है इन किले ,महलों और आपके बीच में।
अब आते हैं सपनों पर ऐसा देश ऐसी नगरी जिसका आपने नाम सुना हो देखा तक नहीं हो, आपके सपने में आकर आपको आपके पिछले जन्म की यादें दिलाते हैं।
विज्ञान की मानें तो जो हम दिन में सोचते हैं, या हमारी वैसी इच्छा जो पूरी नहीं हो पाती उसे ही सपने में देखते हैं। अब जरा सोचिए कोई सपना देखता है हर दिन देखता है कि वह ऊंचे पहाड़ से गीरने वाला है, या फिर नदी में डूबे रहा है तो क्या वह पहाड़ से गिरने की या पानी में डूबने की इच्छा रखता है। नहीं कदापि नहीं जरूर यह आत्मा के अमरता की ओर इशारा करता है। आत्मा और शरीर अलग है इसकी ओर इशारा करता है।
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