मां जो धन्यवाद मैं आपको कह नहीं पाई थी, आज मैं मदर्डेस डे पर आपको कहने आई हूं ।आप सोच रहीं होगी किस बात के लिए ? आपका सोचना भी सही है। जन्म से लेकर जब तक आपका हाथ सर पर रहा लाखों बातें हैं जिसके लिए मुझे आपको धन्यवाद कहने है ,लेकिन आज मैं धन्यवाद कहने आई हूं, आपको किस बात की बताती हूं।
मेरी शादी के बाद जब आई तो आपको याद होगा मेरी तबियत खड़ाब रहने लगी, बस दो महीने ही तो हुए थे शादी हुए। आप डॉक्टर के यहां लेकर गई, वहां पता चला मैं मां बनने वाली हूं। कुछ दवा लेकर हमलोग वापस आ गए थे। मां आपको याद है जब मैंने मांस की
गंध सूंघ कर आपसे कहा मुझे मांस खाने की इच्छा हो रहीं हैं। यह मेरा कहना और किस तरह भौंचक होकर आप मुझे देखते रह गई थी। मैं जो आठ साल पहले मांस खाना छोड़ दिया था। आज अचानक एकाएक ऐसा कहूंगी आपने सोचा भी नहीं होगा। समझ में तो
मेरे भी कुछ नहीं आ रहा था,आखिर कैसे मुझे मांस खाने की इच्छा हुई, मुझे तो नफरत थी।
उस समय तो समझ नहीं पाई अभी आपके मौन होने का कारण समझ में आ रही है। मेरी शादी में पिताजी से पूछा गया था आपकी लड़की मांस- मछली तो नहीं खाती हमलोग वैश्नव है,पिताजी ने कहा नहीं मेरे परिवार में मैं उसकी मां और एक छोटी लड़की शाकाहारी हैं । इस तरह मैं एक वैश्नव परिवार में चली गई मां के लिए बड़ी धर्मसंकट की घड़ी रही होगी एक तरफ बेटी दूसरे तरफ पति । इसी असमंजस में आप पर गई होगी । मां की ममता जीत गई थी, और मुझे समझाते हुए की किसी को इस बात का पता नहीं चलनी चाहिए आपने रसोई से चावल और मांस लाकर मुझे खिलाई थी। फिर तो यह सिलसिला चलता रहा,जब भी मांस बनती मुझे अकेले में सबसे छिपकर खानी पड़ती। आप बहाना बना दिया करती थी ,वह बाद में खाएगी अभी उसकी तबियत दुरूश्त नहीं है। मां शायद आपको लगा बेटी मां बन रही है ,मैके में है कैसे इनकार करके पति के वचन का मान रखूं। पति के वचन बेटी की इच्छा के बीच बेटी की इच्छा चुनने के लिए मैं आपको तहेदिल से धन्यवाद देती हूं।
मेरी शादी के बाद जब आई तो आपको याद होगा मेरी तबियत खड़ाब रहने लगी, बस दो महीने ही तो हुए थे शादी हुए। आप डॉक्टर के यहां लेकर गई, वहां पता चला मैं मां बनने वाली हूं। कुछ दवा लेकर हमलोग वापस आ गए थे। मां आपको याद है जब मैंने मांस की
गंध सूंघ कर आपसे कहा मुझे मांस खाने की इच्छा हो रहीं हैं। यह मेरा कहना और किस तरह भौंचक होकर आप मुझे देखते रह गई थी। मैं जो आठ साल पहले मांस खाना छोड़ दिया था। आज अचानक एकाएक ऐसा कहूंगी आपने सोचा भी नहीं होगा। समझ में तो
मेरे भी कुछ नहीं आ रहा था,आखिर कैसे मुझे मांस खाने की इच्छा हुई, मुझे तो नफरत थी।
उस समय तो समझ नहीं पाई अभी आपके मौन होने का कारण समझ में आ रही है। मेरी शादी में पिताजी से पूछा गया था आपकी लड़की मांस- मछली तो नहीं खाती हमलोग वैश्नव है,पिताजी ने कहा नहीं मेरे परिवार में मैं उसकी मां और एक छोटी लड़की शाकाहारी हैं । इस तरह मैं एक वैश्नव परिवार में चली गई मां के लिए बड़ी धर्मसंकट की घड़ी रही होगी एक तरफ बेटी दूसरे तरफ पति । इसी असमंजस में आप पर गई होगी । मां की ममता जीत गई थी, और मुझे समझाते हुए की किसी को इस बात का पता नहीं चलनी चाहिए आपने रसोई से चावल और मांस लाकर मुझे खिलाई थी। फिर तो यह सिलसिला चलता रहा,जब भी मांस बनती मुझे अकेले में सबसे छिपकर खानी पड़ती। आप बहाना बना दिया करती थी ,वह बाद में खाएगी अभी उसकी तबियत दुरूश्त नहीं है। मां शायद आपको लगा बेटी मां बन रही है ,मैके में है कैसे इनकार करके पति के वचन का मान रखूं। पति के वचन बेटी की इच्छा के बीच बेटी की इच्छा चुनने के लिए मैं आपको तहेदिल से धन्यवाद देती हूं।
0 Comments