Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

क्षणिकाए- - 5

दिल टूट गया इतने टूकड़ों में अब इसको जोड़ूं कैसे ?
अब तुम ही कहो मैं बोलूं कैसे ?
यह टूटा किया मैं जोड़ती रही ।
यह रूठा किया मैं मनाती रही ।
रोने पर चुप कराई भी, गुदगुदी कर हसांई भी ।
लेकिन न अब यह हसंता है न रोता है न गाता है ।
हद हो गई ,अब तो यह न कोई शिकायत करता है।
अब कुछ भी मेरे हाथ कहां ?
इसे जोड़ने की औकात कहां ?
यहां जो भी मरहम मिलते हैं ।
सबके सब नकली दिखते हैं ।
तुम जैसी इनमें बात कहां, सब के सब सौदागर दिखते हैं।
जो टूट गया वो टूट गया, उसके लिए अश्रु बहाना क्या?
उसे जोड़ने की जहमत कैसी, छोड़ो उसको ऐसे ही रहने दो।

Post a Comment

0 Comments