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कचनार

कचनार अॉरनामेंटल प्लान्ट है। कचनार ट्रोपिकल सब ट्रोपिकल जगह में होने वाला प्लान्ट है। यह peas फेमिली का है इसमें फल्लिया आती है।कचनार इंडिया और पाकिस्तान में बहुत दिखाई देता है। यह हार्डी प्लान्ट है एकबार लग जाए तो मरता नहीं है।इसके प्लान्ट लम्बाई में दो से चार मीटर चौड़ाई में एक से दो मीटर के हो सकते हैं ।इसे पायलट,बगीचे के अलावा गमले में भी लगा सकते हैं।
(१) फूल-इसके फूल कई रंगों में आते हैं प्रमुख सफेद होता है।इसमें लाल,पीला,पर्पल,आरेन्ज,गुलाबी रंग के भी फूल आते हैं।इसके फूल पूजा के साथ मेडिसीन में भी उपयोग किए जाते हैं। फूल मार्च से सितम्बर तक खिलते हैं।
(२) पत्ते- कचनार के पत्ते बहुत खूबसूरत दिखते हैं लगता है दो पत्तेआपस में जुड़ कर दिल का आकार ले रखी है। पत्ते दस से पन्द्रह सेंटीमीटर के होते हैं। आप चाहें तो इसके बोनसाई भी बना सकते हैं।
(३) मिट्टी- वैसे तो इसे हर प्रकार की मिट्टी में लगाया जा सकता है लेकिन इसे अम्लिय मिट्टी पसंद है।
(४) पानी-पानी कम या अधिक भी चलेगा । गमले में यदि आपने लगाई है तो पानी मिट्टी चेक करके दिया करें।
(५) धूप- यह फूल देने वाला पौधा है । धूप पूरी नहीं तो छायेवाली भी होनी चाहिए।
(६) कांट छांट- फूल खिलना समाप्त होने पर करें।
(७) विशेषता- कचनार को फेंग सूई में शुभ पौधा माना गया है।पत्ते की साग खाई जाती है। फूल और पत्तों से कई दवा बनती है। इसकी प्रक्रिया चिड़िया खाती है।यह तीसरी मधुमक्खियों को आकर्षित करता है।
(८) कैसे लगाए- इसे बीज या कटिंग दोनों तरह से लगा सकते हैं।कटिंग बरसात में लगाए। बीज आप फरवरी में लगाए।

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