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सफ़र -भाग१

जिंदगी को सफ़र भले कह ले, लेकिन कभी साधारण सा सफर भी कितना कठिन हो जाता है। हमें अपने रिश्तेदार के यहां जाने थे। महीनों से पति-पत्नी के बीच सवारी को लेकर खींचतान चल रही थी।मेरा विचार था भाड़े की गाड़ी से चले और पतिदेव अपनी गाड़ी से चलने के लिए तर्क पर तर्क दिए जा रहे थे। जब उन्हें लगा जीतना संभव नहीं तो मेजमान पर बात लें आए। अपनी गाड़ी रहेगी तो मैं चलाकर जाऊंगा भाड़े की होगी तो फालतू में ड्राईवर का खाने सोने की व्यवस्था करनी होगी।
अब मेरे पास कोई जवाब न था। बात खुद गाड़ी चलाकर जाने पर आकर रूक गई। तैयारी शुरू हुई मैं दो बच्चें ओर पतिदेव। सबेरे पांच बजे घर से निकल जानी है सबेरे रास्ता खाली रहेगा, यह आदेश सुनाते हुए वो सोने चले गए।
सबेरे चार बजे का अलार्म लगा लिया। नहा-धोकर गाड़ी में सवार होकर चले।पति पति की आदत भी अजीब है ऐ कभी किसी से रास्ता नहीं पूछेंगे।उनकी इस आदत से मैं वाकिफ थी। गाड़ी चलती जा रही थी और मैं बार-बार उनसे कह रही थी, किसी से रास्ता पूछ तो ले, सही रास्ता है या नहीं। मेरे बार-बार कहने का परिणाम यह हुआ कि वे चिढ़ गए, कहा बगल की सीट पर बैठ कर गाड़ी मत चलाओ।
बस अब क्या था मैं चुप हो गई, चुप यानि गुस्से वाली चुप।अब वो कुछ बोलते तो कोई जवाब न देती। उन्हें समझ लग गई मैं गुस्से में हूं।
मेन रोड को छोड़कर कच्ची सड़क पर गाड़ी जानी थी।कच्ची सड़क पर पांच किलोमीटर जाने के बाद शायद इन्हें महसूस हुआ कुछ गड़बड़ है। लेकिन यह कहने में तो अपनी तौहीन समझते, कहा चलो चलकर चाय पीते हैं थोड़ा पैर भी सीधा हो जाएगा। फूटपाथ पर एक चाय की दुकान नज़र आईं तो गाड़ी रूकी और चाय मगवाई। चाय वाला से चाय लेते हुए उन्होंने पूछा बाबू लालगंज कितने दूर है यहां से। लालगंज वह बांसो उछला ! अरे भईया आप
तो ग़लत जगह आ गए। मेन रोड से पहली खुरपरिया पकड़ ली आपको दूसरी पकड़नी थी। अब आपको पीछे की तरफ़ लौटकर जाने होगें। बच्चें भूख से बिलबिला रहें थे,हम पहुंचने की सोच रहे थे और अब यह उल्टा लौटने की बात कर रहा था।मन कह रहा था काश इसकी बात ग़लत हो, परन्तु वह सही था, हमरा सफ़र विपरीत दिशा में शुरू हुआ। रास्ते में आता -आते शाम होने लगी, इतने में एक रास्ता नीचे जाता दिखाई दिया, मैंने सोचा अब पूछकर ही नीचे कच्ची सड़क पर गाड़ी उतारेंगे, कहते हैं न दूध का जला मठ्ठा फूंक-फूंक कर पीता है, लेकिन मेरा सोचना गलत था इन्होंने बिना पूछे गाड़ी नीचे उतार दी। गाड़ी कच्ची सड़क पर उतरते ही आवाज आई - ओ भईया उधर किधर जाना है???

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