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हंसते हुए चेहरे

सर झुकाने पर गर्दन कलम करने वालों के आगे।
सर न झुकाने का इरादा कर लिया हमने।

बनाई थी कभी, कहीं जो रेत की महल हमने।
बारिशों ने उसको फिर से रेत में मिला दिया।

अगर उनसे जो अपनी यूं मुलाकात न होती।
तो रेत की महल बनकर यूं तैयार न होती।

शहर में न मिलते सब हंसते हुए चेहरे।
चेहरे पर यदि सबके नाकाब न होती।

उस कहानी को भी कोई कहानी कहता है।
जिसकी कहानी में कोई किरदार नहीं होता।

हमने ही निकाले थे, उनके पांवों के कांटे।
अभी जिसने दिए हैं, हमारे पैरों में छाले।

हालात जब मेरे बद से बद्तर हो गए ।
दुश्मनों के वेश में सारे अपने हो गए।

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