शतावरी,शतावरी, शतमूली/Asparagus यह नाम है उस पौधे का जो हजारों बिमारियों से हमें राहत दिलाता है। ऐसे तो यह झाड़ीनुमा पौधा है पर इसे लत्तर जैसे चढ़ाया जा सकता है।
(१) इसे बीज से आसानी से लगा सकते हैं। इसके फूल उजले छोटे होते हैं। पकने पर हरे से लाल हो जाता है।
(२) पत्ते- इसके पत्तों की खूबसूरती देखते हुए इसे अॉरनामेन्टल प्लान्ट का दर्जा देकर आजकल पौट में लगाया जाने लगा है।
(३) इसमें कंद बैठते हैं। पानी कम देनी है वर्ना कंद गल जाएंगे।
(४) कांट-छांट-- अच्छे आकार में रखने के लिए काटते रहें। काटते समय ध्यान रखें यह कांटों वाला पौधा है।
(५) मिट्टी- यह हर प्रकार की मिट्टी में हों सकता है।कंद बैठने के लिए मिट्टी में रेत मिला लें।
(६) शतावरी की खेती कर अच्छी आमदनी की जा सकती है।
(७) इसमें झूडं में कंद बैठते हैं।
(८) खाद- गोबर, पत्ते की खाद अच्छी रहेगी।
(९) कमजोरी में कंद सूखाकर पाउडर दूध मिश्री के साथ साथ लें, यह नपुंसकता भी दूर करता है।
(१०) नींद न आने पर,या डिप्रेशन में कीड़े में पाउडर डालकर पकाते है।
(११) रतौंधी-- जिन्हें रतौंधी है इसकेे पत्तों को साग -सब्जी बनाकर उपयोग करें।
(१२) मूत्ररोग जैसे पेशाब रूक -रूक कर आना, या फिर पेसाब में जलन रहने पर इससे लाभ मिलता है।
(१३) अतिसार,बाबासिर पेट से सम्बन्धित बिमारियों में लाभदायक है।
(१४) खाशी-- में काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है।
(१५) शतावरी बुढ़ापा जल्दी आने से बचाता है।
(१६) मवेशियों को खिलाने से उनके दूध अधिक आते हैं।
(१७) कुछ भी बिमारी न होने पर भी ताकत बढ़ाने के लिए इसका सेवन किया जाता है।
(१) इसे बीज से आसानी से लगा सकते हैं। इसके फूल उजले छोटे होते हैं। पकने पर हरे से लाल हो जाता है।
(२) पत्ते- इसके पत्तों की खूबसूरती देखते हुए इसे अॉरनामेन्टल प्लान्ट का दर्जा देकर आजकल पौट में लगाया जाने लगा है।
(३) इसमें कंद बैठते हैं। पानी कम देनी है वर्ना कंद गल जाएंगे।
(४) कांट-छांट-- अच्छे आकार में रखने के लिए काटते रहें। काटते समय ध्यान रखें यह कांटों वाला पौधा है।
(५) मिट्टी- यह हर प्रकार की मिट्टी में हों सकता है।कंद बैठने के लिए मिट्टी में रेत मिला लें।
(६) शतावरी की खेती कर अच्छी आमदनी की जा सकती है।
(७) इसमें झूडं में कंद बैठते हैं।
(८) खाद- गोबर, पत्ते की खाद अच्छी रहेगी।
(९) कमजोरी में कंद सूखाकर पाउडर दूध मिश्री के साथ साथ लें, यह नपुंसकता भी दूर करता है।
(१०) नींद न आने पर,या डिप्रेशन में कीड़े में पाउडर डालकर पकाते है।
(११) रतौंधी-- जिन्हें रतौंधी है इसकेे पत्तों को साग -सब्जी बनाकर उपयोग करें।
(१२) मूत्ररोग जैसे पेशाब रूक -रूक कर आना, या फिर पेसाब में जलन रहने पर इससे लाभ मिलता है।
(१३) अतिसार,बाबासिर पेट से सम्बन्धित बिमारियों में लाभदायक है।
(१४) खाशी-- में काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है।
(१५) शतावरी बुढ़ापा जल्दी आने से बचाता है।
(१६) मवेशियों को खिलाने से उनके दूध अधिक आते हैं।
(१७) कुछ भी बिमारी न होने पर भी ताकत बढ़ाने के लिए इसका सेवन किया जाता है।
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