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सच्ची कहानी भाग-- २

सब कुछ ठीक ही चल रहा था। रोहित और सुमन आठ बजे तक अपने अॉफिस के लिए निकल जाते बच्चा मेड के पास रहता। रविवार को दोनों की छुट्टियां रहती, बच्चे के साथ कभी घूमने निकल जाते या फिर घर पर ही रहकर बच्चे के साथ खेलने का आनंद लेना चाहते। सुमन को हमेशा लगता कुछ गलत चल रहा है। बच्चा या तो सोया रहता या रोया करता। सुमन ने कई बार डाक्टर से परामर्श लेना चाहा, रोहित यह कहकर चुप करा देता, यह तुम्हारा वहम है। वह आया के साथ रहता ,उस नहीं देखता तो रोयगा ही।
सुमन के अॉफिस जाने के रास्ते में एक मंदिर आता था, वह आदतन स्टेएरिग पकड़े पकड़े मंदिर के तरफ़ देखती और सर झुका दिया करती। मंदिर के बाहर भिखारियों की लाईन लगी होती थी। आज भी वह मंदिर की तरफ देखी, अपने सर झूकाए। एक गंदे कपड़े पहने भिखारन के गोद में एक बच्चा दिखा। उसने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी, परन्तु उसे एक झटका सा लगा, भिखारन के गोद में जो बच्चा था, उसका चेहरा बाबु से मिल रहा था। इस बात से वह भयभीत हो गई। लेकिन अभी लौटकर जाना संभव भी नहीं है। आॅफिस में भी बार बार उसे मैले कुचैले कपड़ों वाला बच्चा का चेहरा एक पल के लिए भी नहीं भूला। घर आकर सोचा रोहित से कुछ बताना बेकार है, मुझे खुद ही पता करने होंगे। बहुत तरह से सोचती रही, मंदिर में गाड़ी रोककर जाकर देखूं या घर पर रहकर इंतजार करूं। एक बार तो आया से पूछने का ख्याल भी दिल में आया, पूछकर देखूं क्या मंदिर में किसी भिखारन का बच्चा का चेहरा बाबु से मिलता है।
सबेरे सब कुछ अन्य दिनों जैसा करती रही , नाश्ता कर गाड़ी निकाली और चल पड़ी। अॉफिस में छुट्टी के लिए बात की, अब परेशानी थी, तुरंत तो वह जाएगी नहीं घर से पूरी तैयारी कर निकलने में दो घंटे से कम नहीं लगेंगे। समय काटने के लिए पुस्तकालय ठीक रहेगा, ऐसा सोच कर वहीं चली गई।
घंटे भर बाद वह सीधे घर लौटी। घर नजदीक आ रहा था और उसकी धड़कन बढ़ रही थी। मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी, मैं ने जो कुछ भी देखा मेरा भ्रम हो।
घर की व्यवस्था ऐसी थी अंदर से बंद दरवाजे को चाभी से बाहर से खोला जा सकता था। चाभी हाथ में रखें खोलने से पहले उसके दिमाग में आया अगर वह  पूछेगी दरवाजा नौक क्यो नही किया तो ? दूसरे क्षण जबाब आया कह दूंगी बाबु के उठने के डर से बेल नहीं बजाई।
किवार खोलते ही वह दंग रह गई। आया और बच्चे का कोई अता-पता नहीं था। सुमन का भ्रम यकीन में बदल गया। अब सब कुछ उसे समझ में आ गया। सलवार सूट में ऊंची हील के चप्पल और लिपस्टिक लगाएं रहने वाली ऐसे मैले कपड़े पहने भिखारन का रूप बनाकर भीख मांगेगी।
मैंने रोहित को फोन पर सारी बातें बताई, उसने कहा बच्चा उसके साथ है तुम कुछ ना करो किवार बन्द कर लो, वह अपने चाभी से खोलकर अंदर आएगी। सबसे पहले बच्चे को ले लो, मैं भी पहुचने की कोशिश करता हूं ।
मुझे बेचैनी हो रही थी, हर आहट पर मैं सतर्क हो जाती थी। क़रीब पांच बजे वह आई ,चाभी से ताला खोली ,सारा माजरा उसे समझ में आ गया। बैठकखाने में बच्चे को सोफे पर डाली, जब तक मैं वहां आऊं दौड़ते हुए गायब हो गई। लाख कोशिशों के बाद भी उसका पता नहीं चला।
उसने अपने सारे कपड़े, हीलवाले जूते, चेहरे पर पोतने के कालिख, पैसे और ड्रग्स सब छोड़े थे केवल नहीं था तो उसका पता ?
बच्चें और नौकरी दोनों में सुमन ने बच्चें को चुना।

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