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सच्ची कहानी

आज मैं एक सच्ची कहानी सुना रही केवल पात्र के नाम बदल रही हूं।
सुमन और रोहित एक ही मल्टिनेशनल कम्पनी में इंजिनियर की नौकरी करते थे। दोनों के बीच दोस्ती मुहब्बत में बदल गई। दोनों ने एक-दूसरे से उम्र भर साथ रहने का वादा तो कर लिया परंतु उसे निभाना आसान नहीं था। वे अच्छी तरह जानते थे परिवार वाले मंजूरी नहीं देंगे,न तो उनकी जाति एक थी ना ही धर्म एक।
दोनों ने परिवार के विरुद्ध जाकर कोर्ट में शादी कर ली। मन में दर्द तो बहुत था। धीरे-धीरे समय बीतता गया घर, गाड़ी वो भी एक नहीं दो। कोई कमी कहां थी फिर भी कभी कभी मन बेचैन हो जाया करता। पति-पत्नी नौकरी करते हो तब बच्चें के लिए भी समय निकालने पड़ते हैं। चार साल बाद एक बच्चा आया। बच्चें के साथ आई परवरिश की बातें। घर में दोनों अकेले दादा- दादी या नाना-नानी का सवाल ही पैदा नहीं होता। सुमन सोचती कैसे इतने निष्ठुर हो गए माता पिता जो कभी सर्दी ज़ुकाम होने पर भी आसमान सर पर उठा लेते थे।आज चार साल में एक फोन तक नहीं उठाया ,की बार कोशिश कर हार गई। सोचती क्या मां भी नानी बनने की खुशी सुनकर मुझे माफ़ नहीं करेंगी। फोन रिंग होकर चुप हो जाता ।
एक नया सीम लेकर फोन लगाया संयोगवश मां ने ही फोन पकड़ा। घबराहट में सीधे मुंह से निकला मां तुम नानी बन ....? फोन काट दिया मां ने, जब मां ऐसा टर सकतीं हैं तब अब किससे बात करूं,सोचा था बच्चें के बात सुनकर सब माफ़ कर देंगे। अब सुमन की हिम्मत टूट चुकी थी,सांस श्वसुर से कैसे बात करूं ?
दोनों ने विचार किया एक आया रख लेते हैं जो बच्चे की देखभाल करेंगी। बड़े शहरों में आपको क्रेच भी रहते लेकिन छोटे शहर में यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती। बच्चें के लिए आया मिल गई। दोनों अपनी अपनी डियूटी से बचा समय बच्चे के साथ खेलने में बीताते। बच्चा बड़ा होता जा रहा था। सुमन को दुःख होता जब बच्चा उसके गोद से आया के पास जाने को रोता था। उसने इस बात की चर्चा रोहित से की मुझे अच्छा नहीं लगता बाबु मेरे गोद से आया के पास जाने को रोता है। रोहित समझाने की कोशिश करता , अरे तुम अपना मन क्यो दुखाती हो, दिन भर उसके साथ रहता है । बड़ा होकर समझदार हो जाएगा। सुमन ने कई बार इस बात कि भी चर्चा छेड़ी मुझे लगता अभी बाबु को देखूं नौकरी छोड़ दूं। रोहित हर बार उसे मना लेता। ऐसे ही समय बीतता जा रहा था कि एक दिन अचानक सुमन ने नौकरी छोड़ दी।

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