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क्षणिकाएं

अब तकल्लुफ कोई भी हमे गवारा नहीं ।
तुम आओ आकर हाल मेरा पूछा करो।
हाल पूछना भी तुमको गवारा नहीं।

तेरे आने से तबियत सुधर जाएगी।
यह बताने की मुझको जरूरत नहीं ।

तेरी ख्वाहिशे मेरी सलामती की है।
यह बताने की तुमको जरूरत नहीं ।

वक्त भागता रहा मैं पकड़ता रहा।
जिन्दगी हाथ से यूं फिसलती रही।

ख्वाईशे मेरी सब धड़ी की धड़ी रह गई।
जिम्मेदारी इस कदर मेरी बढ़ती ही गई।

मेरी ख्वाईशे आपकी सलामति से है।
आपसबो की खुशी की मैं तलवगार हूं।

इतनी तपिश में भी बातें उसकी ठंडक पहुंचाती है।
जब हाथों से चलकर मेंहदी बालों तक आ जाती है।

इन्सान से नफ़रत करके हैवानियत मिली।
सजा यहां न मिली तो परवरदिगार से मिली।

मुहलत दो ऐ जिन्दगी मुझे तुमसे बातें करनी है।
तेरी कुछ सुननी है, हां अपनी भी कुछ कहनी है।

आदतें अच्छी हो या कि हो बुरी धीरे धीरे जाती है
एक एक कदम बढ़ाने से मंजिल पास आ जाती है।

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