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हिंदी कुछ ना कहती है हिंदी महसूस करती है

हिंदी कुछ ना कहती है हिंदी महसूस करती है 

हिंदी कुछ न कहती है।
हिंदी महसूस करती है।

हिंदी दिवस आने पर खुश तो होती होगी 
न जाने हिंदी तू क्या महसूस करती होगी?

न जाने कौन सी सजा मैं काट रही हूं।
अंग्रेजी के तलवे क्यू मैं चाट रही हूं।

हिंदी कुछ न कहती है हिंदी महसूस करती है।

देवनागरी लिपि है मैं देवलोक से आई हूं।
देवलोक छोड़ धरा पर तेरे हित ही आई हूं।

तेरे कल्याण हेतु आई धरा पर, तेरी अभिलाषा हूं।
तेरे साथ हरदम चलने की जिज्ञासा लेकर आई हूं।

समुद्र की लहरों में कल-कल मैं आज भी बहती हूं।
चांद सितारों की नई श्रृंखला अब भी बनाती हूं।

कोयल अब तलक देखो पीऊं - पीऊं ही सुनाती हैं।
नदियां बहती हैं तो कल-कल की आवाज लगाती है।
कविता,कहानी,नाटक की जान रही हूं ‌‌‌‌मै भारत की शान रही हूं मैं।

अजीब इन्सान की अजीब फितरत यहां देखो,
एक दिन हिंदी दिवस मनाता है और भूल जाता ‌‌‌‌है।

हिंदी ही एकता में अनेकता का रंग भरना सिखाती है।
परित्यकता सी मायूस दिखती हैं,राष्ट्रभाषा कहलाती है।

मां हूं मैं तेरी, दूध का कर्ज नहीं तो अपना फर्ज चुकाने होंगे।
देश को सुदृढ़ बनाने है तो,हिंदी दिवस हर रोज मनाने होंगे।

पहले तो मेरा खोया सम्मान लौटाओ फिर हिंदी दिवस मनाओ।
देश को सुदृढ़ बनाने है तो,हिंदी दिवस हर रोज मनाने होंगे।

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