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बदला बदला सा लगता है

न जाने सब कुछ क्यूँ बदला बदला सा लगता है।
चाद सितारे वैसे ही है पर सब बदला लगता है।

इतनी मुद्दत बाद मिले तुम पर तू भी बदला सा लगता है।
धरती हरी भरी है फिर भी सबकुछ सूना सूना लगता है।

बदलने को तो मैं भी बदली देखे अब कैसा लगता है।
तेरे मेरे में फर्क है इतना मैं फैली तू सिकुड़ा सा लगता है।

राते कट ही गई जब सबकी तू क्यूं जगा जगा सा दिखता है।
कहने को सबने कह दी तू कुछ छिपाता हुआ सा ‌लगता है।

दे सको तो दे दो हमें गम अपने तू तो मेरा अपना सा लगता है।
पास रहूँ या दूर रहूँ मुझे तेरा गम जाने क्यूँ अपना सा लगता है।

पास भी आए अनजान बन देखा तुमने जाने कैसा लगता है।
बस छोटी सी बात थी फिर भी दिल बैठा बैठा सा लगता है।

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