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क्षणिकाएं

धैर्य मांझी का पत्थर में रास्ता बना सकता नहीं।
 मुहब्बत भरा दिल गर पास उसके होता नहीं।

बीस साल तक जुझते रहना पुरुषार्थ का ही नाम है।
सफलता मिलती उसी को धैर्य बना जिसका गुलाम है।

चौदह साल का गर राम को वनवास न होता।
राम,फकत राम होते पुरूषोत्तम राम न होता।

अनाचार से अनाचारी बन कोई लड़ नहीं सकता।
इक शराबी दूसरे शराबी को सहारा दे नहीं सकता।

अनाचार से लड़ने के लिए  सदाचार चाहिए।
हिंसा से हिंसा उपज सकती मर नहीं सकती।

जो दुश्मन बनें है आज वो कभी दोस्त ही तो थे।
वक्त वक्त की बात है, हम वक्त से भी लड़ लेंगे।

दोस्ती जो निभा न सके दुश्मनी भला क्या निभाएंगे।
खुद के जो न हुए वो भला किसी के भला हो पाएगे।

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