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रानी की मुहब्बत भाग- 2

आखिर  क्यो ? मैने जानने की इच्छा जाहिर की।
रानी ने कहा- दीदी मैने हिन्दू होकर एक किर्श्चन से शादी की है। मैने एक ऐसे आदमी को अपना पति बनाया। मेरी उम्र कोई पन्द्रह सोलह की होगी। मुझे रोबर्ट से बेइंतहा प्यार हो गया। उसे देखे बिना रह नही सकती थी। हमदोनो जानते थे हमारे घर-परिवार के लोग कभी इजाजत नही देगे। घर से भाग जाने का प्रोग्राम बनाया। रोबर्ट ने घर से पैसे और जेवर ले चलने को कहा। दीदी मेरी मत मारी गई थी। मेरा परिवार एक खाता-पीता परिवार था।मै घर से मा के गहने और पैसे लेकर भाग निकली। छोटे से गाँव से निकलकर कलकत्ता जैसे शहर मे जा पहुँची।मेरे तो पाव जमीन पर नही पड़ते थे। पैसे की कमी नही, रहने को घर और साथ मे वह इन्सान जिससे आपको मुहब्बत हो तो स्वर्ग तो धरती पर ही मिल जाए। दीदी कुदरत से हमारी खुशी देखी न गई। मेरे घरवाले ने मेरे अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर दी। पुलिस ने हमे खोज निकाली। मुझे अवयस्क कहकर माता-पिता को सुपुर्द कर दिए जाने की बात थी। दीदी मै डर गई । मुझे लगा मुझे मार डालेगे और मेरी शादी कही करवा देंगे। मै उनके साथ जाने से इन्कार कर गई। मुझे रिमांड होम मे भेज दिया गया। यहा से मेरी बदनसीबी ने मुझे घेर लिया। दीदी जो मै किसीको नही बताई आपको अपना समझकर बता रही हू किसी से कहना नही। दीदी मेरे नाम बदल कर मेरी बर्बादी की कहानी जरूर लिखना ताकि कोई अपने मां-बाप की जगह रिमांड होम को ना चूने। दो साल तक शारीरिक यातना सहती रही। मुझे जिदा रखने मे मेरे मुहब्बत का सहारा था। मै जानती थी मेरा प्यार सच्चा है रोबर्ट मुझे अपना लेगा।
मेरी सोच सही निकली। अठारह साल की उम्र मे मेरे रिमांड होम से आने पर रोवर्ट चर्च मे मेरे साथ शादी कर मुझे अपने घर ले गया। मै सजी सवरी अपने-आप पर इठलाती अपने ससुराल पहुंची। पर यह क्या मेरा घर तो झोपड़ी का था जिसमे केवल दो कमरे थे और घर मे रहनेवाले छह लोग। मै सोचने लगी रोबर्ट इतने कीमती जूते कपड़े पहनता कहा से था। यह तो मुझे उसने बाद मे बताया वो सब तामझाम उसके दोस्तो के थे। दीदी मुझे घर छोटा होने का दुख नही था। मै तो रोबर्ट  के साथ  हर हाल मे खुश रह लेती ।

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