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क्षणिकाए


मुहब्बत खुदा की वो नेमत है सबको हासिल हो नही सकती।
खुदा हो मेहरबान जिस पर उसे भी बड़ी शिद्दत से मिलती है।

ख्वाहिशे हो बुलंद तो मंजिले चल के खुद पास आती है।
अगर हो मुहब्बत बेइंतहा तो मुक्कमल हो ही जाती है।

पाकर मुहब्बत को हर ख्वाहिशे बुलंदियो को छू जाती है।
समर्पित कर ह्रदय अपना वो फासले इश्क के मिटाती है।

सेहत हो या कि हो मुहब्बत खुदा की नियामत है।
ऐ उनको ही हासिल है जो खुदा के नेक बंदे है।

खुदा की अदालत मे जाकर तो देखो।
वहाँ बेगुनाह को कभी सजा नही होती।

वस्ती जलाकर मातम मनाने वाले को देखा।
सफेद परिधान मे छूपे देश के गद्दारो को देखा।

सियासत मे मगरमच्छ सा आँसू भी बहाए।
मौका मिले तो देश बेचकर विदेशी हो जाए ।

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