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चोरनी

आज मेरे विद्यालय मे एक नई शिक्षिका आनेवाली थी जिनकी नौकरी अनुकंपा पर हुई थी। शोभा हाथ यही नाम था उनका। उनके आने से पहले उनकी कहानी पहुंच गई थी। मुझे सुनी सुनाई पर विश्वास करने की आदत नही थी। मुझसे अपनापन का भाव देखकर एक दिन उन्होंने मेरे सामने अपना दिल खोलकर रख दिया।
तीज का पर्व था वो अपने पति के साथ बाजार गई थी। कई दूकान का चक्कर काट कर एक साड़ी पसन्द किया । साड़ी लेकर काउंटर पर बिल देने पहुंची तो बिल मे दो साड़ी के दाम देख उनके पति ने अपनी साड़ी की थैला आगे बढाते हुए कहा आपने गलती से दो साड़ियो का दाम लिख दिए है।काउंटर पर बैठे आदमी ने कहा - सर एक साड़ी बीबी जी के थैले मे है। इतना सुनते उनके पतिदेव सकते मे आ गए । बात उन दिनो कि है जब सी सी टी वी कैमरे नए-नए आए थे। दुकानदार ने शोभा जी को साड़ी चुराते देख लिया था। दोनो साड़ियो के पैसे देकर दुकान से बाहर निकल आए । शोभा जी को लगा घर जाकर कुछ  पूछेंगे लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ । घर आकर दोनो ने खाना खाया और सोने चले गए । शोभा जी ने बताया उन्हे अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी हो रही थी। साथ ही पतिदेव का ऐसा व्यवहार जैसे कुछ हुआ ही न हो, उन्हे चैन से सोने नही दे रहा था। वह सोच रही थी गलती तो हुई है कल माफी मांग लूगी। इसी सोच-विचार मे न जाने कब नींद आ गई । सुबह आख खुली तो आश्चर्य हुआ, यह आज कैसे जगह गए इतनी सुबह। सोचा मुझे कुछ कहा नही परन्तु इन्हे भी रात मे नीद नही आई। यह मैने क्या कर दिया। इतने बड़े पोस्ट पर है कितनी बेइज्जती हुई। ऐसा सोचते हुए जैसे मै अगले रूम मे गई इन्हे फैन से लटका हुआ देखा। मै बेहोश हो गई । जब होश मे आई रो- रोकर सबको बताया कि मेरे कारण इन्होने सुसाइड कर ली है। सभी हितैषी ने मुझे चुप रहने को कहा। मुझे और मेरी बेटी के माथे पर चोरनी का दाग ना लगे।

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