अश्वगंधा एक मेडिसनल पौधा है। हिमाचल, पंजाब, राजस्थान मै इसकी व्यवसायिक खेती होती है।इससे बहुत सी आयुर्वेदिक दवाई बनती है। अंग्रेजी मे इसे Withania Somnifera के नाम से जाना जाता है। यह सदाबहार पौधा है । यह बीज गिरने से खुद ही हो जाता है। इसके फल मटर या चेरी जैसा दिखाई देते है। यह शक्तिवर्धटटक पौधा है। इससे घोड़े सी गंध आती है। इसे हॉर्स पावर भी कहते है।
यह दोमट मिट्टी मे सालों-साल बना रहता है।
इसके तने मे कैल्शियम और फास्फोरस अधिक मात्रा मे पाया जाता है।
फलो मे भोजन पचाने वाला एग्जाम पाया जाता है।
जड़ो मे लौह की प्रचुरता रहती है। इसकी जड़ो के सेवन से खून की कमी यानि एनीमिया दूर होती है। शरीर मे हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ा देता है। जंगल और पाचन को दुरुस्त करता है।
जिन्हे नींद न आती हो इसके जड़ के चूर्ण का उपयोग करे।
दुबले पतले के मांसपेशियो को तंदुरुस्त करता है।
अश्वगंधा ब्लडप्रेशर को कम करता है
डिप्रेशन मे सहायक है अश्वगंधा।
यह दोमट मिट्टी मे सालों-साल बना रहता है।
इसके तने मे कैल्शियम और फास्फोरस अधिक मात्रा मे पाया जाता है।
फलो मे भोजन पचाने वाला एग्जाम पाया जाता है।
जड़ो मे लौह की प्रचुरता रहती है। इसकी जड़ो के सेवन से खून की कमी यानि एनीमिया दूर होती है। शरीर मे हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ा देता है। जंगल और पाचन को दुरुस्त करता है।
जिन्हे नींद न आती हो इसके जड़ के चूर्ण का उपयोग करे।
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