सुमन के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उसे गौतम का खत मिला। उसके आंखों में सारी घटनाएं चलचित्र की तरह एक एक करके आती चली गई। कैसे घरवालों ने शादी से मना कर दिया था। दोनों की अलग अलग दुनिया बसा दी गई थी। गौतम शहर छोड़कर नौकरी को चला गया। वह तो दुर्भाग्य से यहां अपने मैके में आ पड़ी थी। शादी के दो साल। बाद ही उसके पति की मौत हो गई थी और वह जो मैके आई तब यही रह गई। पिता जी के नहीं रहने पर मां के साथ भाभी का सलूक देख उसे भाभी से अक्सर झगड़े होने लगे। कितना कुछ नहीं सुना दिया था भाभी ने। यहां तक कह गई वह पति को खा गई अब भाई को भी खाएगी डायन। बहुत रोई थी उस दिन। पति के मौत का जिम्मेदार वह कैसे हो सकती है। ससुराल वालों ने भी कुछ ऐसा ही तो कहा था ,जब पिताजी वहां से उसे साथ लेकर चलने वाले थे। सासु मां के वचन सुनकर पिताजी अवाक रह गए थे। हां ले जाईए कुलछन्नी को मैं इसका चेहरा भी नहीं देखना चाहती। एक निशानी भी रहता तो संतोष कर लेते। इस बांझ का तो सबेरे मुंह देखना भी पाप है।
माना बहुत मुहब्बत थी गौतम को लेकिन एक बार भी तो उसने जानने की कोशिश नहीं की मैं जिंदा भी हूं या नहीं। मैं तो उसे नहीं भूली। शादी नहीं हुई तो क्या हम एक-दूसरे के दोस्त भी न रहे। प्यार दो तन का नहीं दो मन का मिलन होता है। कई बार तो सुसाइड करने की इच्छा हुई पर मां को देखते न कर पाई। भाई की लाचारी थी वह पत्नी को कुछ कह नहीं सकता था। घर में होने वाले कलह से बचने के लिए उसने देश ही छोड़ दिया। वह अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर विदेश चला गया। घर में मै और मां दोनों बचे।
अब इस उम्र में जब मैं बूढ़ी हो गई आंखों में मोतियाबिंद ने अपना डेरा डाल लिया है, गौतम को मुझसे मिलने का ख्याल कैसे आया ?
सारी रात नींद नहीं आई। खत में उसने मंदिर में आकर मिलने को लिखा था ।.....
माना बहुत मुहब्बत थी गौतम को लेकिन एक बार भी तो उसने जानने की कोशिश नहीं की मैं जिंदा भी हूं या नहीं। मैं तो उसे नहीं भूली। शादी नहीं हुई तो क्या हम एक-दूसरे के दोस्त भी न रहे। प्यार दो तन का नहीं दो मन का मिलन होता है। कई बार तो सुसाइड करने की इच्छा हुई पर मां को देखते न कर पाई। भाई की लाचारी थी वह पत्नी को कुछ कह नहीं सकता था। घर में होने वाले कलह से बचने के लिए उसने देश ही छोड़ दिया। वह अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर विदेश चला गया। घर में मै और मां दोनों बचे।
अब इस उम्र में जब मैं बूढ़ी हो गई आंखों में मोतियाबिंद ने अपना डेरा डाल लिया है, गौतम को मुझसे मिलने का ख्याल कैसे आया ?
सारी रात नींद नहीं आई। खत में उसने मंदिर में आकर मिलने को लिखा था ।.....
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