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वैलेंटाइन डे

वैलेंटाइन डे भले हमारी संस्कृति का हिस्सा न हो लेकिन मुहब्बत का पैगाम है दुनिया को। मनुष्य जब अपना आख खोलता है उसे मां की ममतामयी आलिंगन मिलता है। मा का वह प्यार भरा आलिंगन की याद है वैलेंटाइन डे।
आईए आज हम सभी अपनी सबसे प्यारी वैलेंटाइन को याद करे।
हमारी वैलेंटाइन तो वही रहती है मां कभी बदलती नही। हम है कि अपना बचपना ,मासूमियत के जाते बदल जाते है। अपनी मेहबूब को रोज डे, टॉफी डे, प्रामिश डे और हग डे देते हुए अपनी मां के गोद मे समा जाए। उम्र को भूलाकर आलिंगन दिवस  पर मां के आंचल मे समा जाए। आपके जीवन की पहली वैलेंटाइन कब से आपका इंतजार कर रही है।
हरेक इन्सान का वैलेंटाइन एक नही हो सकता। एक गार्डेनर का वैलेंटाइन उसके बगीचे के पौधे होते है। सबेरे आख खोलते वह बगीचे मे अपने लगाए पौधो को देखने जाता है। आप भी अपने पिता के बगीचे के वैसे ही पौधे तो हो जिसे पल पल बड़ा होते देख कर वो आनंदित होते रहे है। वैलेंटाइन डे के बहाने आप पिता के आगोश मे जाकर देखे। सच कहती हू वैलेंटाइन बाबा का सपना सच हो जाएगा- संसार को मुहब्बत का पाठ सिखाने का।
आलिंगन जीवन की सचाई ही तो है जिसे आप प्यार करते हो उसे आलिंगन मे लेने या उसके आलिंगन मे बंधने की चाहत ही तो मुहब्बत है, चाहे वह आपकी पत्नी हो या महबूब ।
हम इन्सान ही नही पेड़ पौधे, पशु पक्षी सभी प्यार के भूखे होते है ऐसे मे हमारे सामने एक बहुत बेहतरीन विकल्प के रूप मे आता है वैलेंटाइन डे। मुहब्बत का दिन देशी या विदेशी नही हो सकता।
मां मेरी भाग तुम मुझे पकड़कर दिखाओ।
फिर इकबार बच्चा मुझे बनाओ।
जब से तेरा आंचल छूटा दर-दर भटक रहा हू।
थक गया बहुत मै हे ममतामयी।
आ भी जाओ आलिंगन मे लेकर लोरी मुझे सुनाओ।
पूरी धरा का आकर्षक है इक तरफ ।
इक तरफ तेरा निस्वार्थ अनकहा सा समर्पित  प्यार है।
तुमसे ही इस धरा पर मुहब्बत है।
मुहब्बत ही तो इस जंहा के कायम रहने की वजह है।

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