पचास रुपए की हौजी की टिकट खरीदने के बाद अंकों को ध्यान से सुनना फ़िर अपने पर्चे में उस नम्बर को देखते जो खुशी मिलती वह अवर्णनीय अनुभूति होती है। अगर कोई सारै नम्बर के कटते अपने अपने सीट से उछलते हुए यस कहकर चिल्लाने का मजा ही कुछ और है।
जी हां, आज हौजी में बौकारो टेम्परेचर यानि सबसे छोटा और सबसे बड़ा अंक का कट जाना। मेरे लिए यूरेका,यूरेका से कम नहीं था। अपनी टिकट लेकर बेतहाशा रिजल्ट टेबल के पास भागी।
अरे यार यह क्या ? हर ओर से आदमी औरत और बच्चों का हूजूम ! सबके सब टेबल की ओर दौड़ रहे हैं। पूरा का पूरा पंडाल यह, यह चिल्लाते हुए दौड़ता आ रहा है।
टेबल पर धक्का मुक्की का माहौल। सबके नम्बर एक और नब्बे।
चार सौ की जीत बंटकर दस रुपए की हो गई।
दस रुपए लेकर अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गई।
इस दस के नोट ने खुशी क्या होती है जता दिया। हम सभी खुशी की चाहत तो रखते हैं, परन्तु खुश होना नहीं जानते। बड़ी -बड़ी खुशियों की तलाश में छोटी छोटी खुशी गंवा बैठते हैं। बड़ी खुशी जिंदगी में कितनी मिलेगी भला। शादी एकबार होगी, इम्तहान एक बार पास होंगे, कोई हर साल, महीने ,हर दिन आई ए एस तों बन नहीं सकता।
बड़ी-बड़ी खुशियों की जिंदगी होती भी कितनी है। कुछ घंटे, दिन, महीने या साल फिर वही सुनापन, बेरुखी सी कटने वाली जिंदगी।
दस रुपए के नोट ने छोटी छोटी खुशियों को पाकर खुश रहना सिखाया। हर पल हर घड़ी छोटी छोटी खुशियां हमें मिलती रहती है। दस रुपए के नोट ने जो खुशी दी उसे लाखों खरचने के बाद भी खरीदा नहीं जा सकता
जी हां, आज हौजी में बौकारो टेम्परेचर यानि सबसे छोटा और सबसे बड़ा अंक का कट जाना। मेरे लिए यूरेका,यूरेका से कम नहीं था। अपनी टिकट लेकर बेतहाशा रिजल्ट टेबल के पास भागी।
अरे यार यह क्या ? हर ओर से आदमी औरत और बच्चों का हूजूम ! सबके सब टेबल की ओर दौड़ रहे हैं। पूरा का पूरा पंडाल यह, यह चिल्लाते हुए दौड़ता आ रहा है।
टेबल पर धक्का मुक्की का माहौल। सबके नम्बर एक और नब्बे।
चार सौ की जीत बंटकर दस रुपए की हो गई।
दस रुपए लेकर अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गई।
इस दस के नोट ने खुशी क्या होती है जता दिया। हम सभी खुशी की चाहत तो रखते हैं, परन्तु खुश होना नहीं जानते। बड़ी -बड़ी खुशियों की तलाश में छोटी छोटी खुशी गंवा बैठते हैं। बड़ी खुशी जिंदगी में कितनी मिलेगी भला। शादी एकबार होगी, इम्तहान एक बार पास होंगे, कोई हर साल, महीने ,हर दिन आई ए एस तों बन नहीं सकता।
बड़ी-बड़ी खुशियों की जिंदगी होती भी कितनी है। कुछ घंटे, दिन, महीने या साल फिर वही सुनापन, बेरुखी सी कटने वाली जिंदगी।
दस रुपए के नोट ने छोटी छोटी खुशियों को पाकर खुश रहना सिखाया। हर पल हर घड़ी छोटी छोटी खुशियां हमें मिलती रहती है। दस रुपए के नोट ने जो खुशी दी उसे लाखों खरचने के बाद भी खरीदा नहीं जा सकता
1 Comments
Good
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