धरा की मुहब्बत को गौर से देखो।
रखती है कैसे सबको सम्भाल के।
उस दौर की मुहब्बत में कुछ और बात थी।
रखें जाते थे प्रेमियों के प्रेम पत्र सम्भाल के।
अब कहो कैसे मुहब्बत का ऐलान करें कोई।
निजाम की बंदिशों से कैसे तकरार करें कोई।
पहले तो सिर्फ महबूबा के भाई का ही डर था।
अब योगी बजरंग दल के बंदिशों का भी डर है।
तमन्ना थी मुहब्बत करके अपना घर बसाने की।
एक खूबसूरत सी दुल्हन मां की सेवा में लाने की।
गुलाब टौफी दे जलपरी को वेलेंटाइन डे मनाने की।
मी टू के डर से अब जलपरी ब्लूभेल सी दिखती है।
न जाने कब अपना वेलेंटाइन डे फेल हो जाए।
किसी लड़की के मी टू कहने से जेल हो जाए।
(2)
कितनी बेफिक्र होकर लड़की छेड़ते थे हम।
बादशाह बदले तो सब बदला छेड़े कैसे हम।
खुद पट न सकी उसका बदला हम से लेते हैं।
ताड़ी नहीं लड़की वो हमें भी ताड़ने न देते हैं।
वेलेंटाइन डे और क्या है पैगामे मुहब्बत ही तो है।
मुहब्बत दिल में है तो अपनी धरा से ही हो जाए।
रखती है कैसे सबको सम्भाल के।
उस दौर की मुहब्बत में कुछ और बात थी।
रखें जाते थे प्रेमियों के प्रेम पत्र सम्भाल के।
अब कहो कैसे मुहब्बत का ऐलान करें कोई।
निजाम की बंदिशों से कैसे तकरार करें कोई।
पहले तो सिर्फ महबूबा के भाई का ही डर था।
अब योगी बजरंग दल के बंदिशों का भी डर है।
तमन्ना थी मुहब्बत करके अपना घर बसाने की।
एक खूबसूरत सी दुल्हन मां की सेवा में लाने की।
गुलाब टौफी दे जलपरी को वेलेंटाइन डे मनाने की।
मी टू के डर से अब जलपरी ब्लूभेल सी दिखती है।
न जाने कब अपना वेलेंटाइन डे फेल हो जाए।
किसी लड़की के मी टू कहने से जेल हो जाए।
(2)
कितनी बेफिक्र होकर लड़की छेड़ते थे हम।
बादशाह बदले तो सब बदला छेड़े कैसे हम।
खुद पट न सकी उसका बदला हम से लेते हैं।
ताड़ी नहीं लड़की वो हमें भी ताड़ने न देते हैं।
वेलेंटाइन डे और क्या है पैगामे मुहब्बत ही तो है।
मुहब्बत दिल में है तो अपनी धरा से ही हो जाए।
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