एक राजा था, उसके राज्य में सभी खुश थे। हीरे-जवाहरात की कोई कमी नहीं। खेत फसलों से लदे रहते थे। उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। उसके हरम में एक से बढ़कर एक रानियां थीं।
उसकी शोहरत से प्रभावित होकर एक वादशाह को जलन सी होने लगी। उसने सोचा क्यो न पड़ोसी राज्य पर चढ़ाई कर दी जाए। इस जीत में सोने जवाहरात के अलावे अस़ंख्य बहादुर सैनिक हासिल होंगे। साथ ही सैकड़ों सुन्दरिया हमारे हरम में आ जाएगी। इस विचार ने उसके आंखों की नींद छीन ली।
उसने सेनापति को बुलाकर अपनी इच्छा बताई। बादशाह ने कहा- इस जीत से हमारी शान में इजाफा होगा। जन धन की वृद्धि के साथ ही हमारे राज्य की क्षेत्रफल बढ़ जाएगे। सुना है पड़ोसी राज्य में अकूत संपत्ति है। आप अपनी सेना को इतिल्ला कर दें। हम कल सुबह ही पड़ोसी राज्य की सीमा पर होंगे।
अपनी दस हजार की सैन्य वल के साथ वह पड़ोसी राज्य पर चढ़ाई के लिए निकल पड़ा। सीमा पर पहुंच कर उसने अपने गुप्तचर को राजा के सैन्य वल की जानकारी लेने को भेजा। गुप्तचर ने आकर जो खबर सुनाई उसे सुनकर उसे अपने जीत की आशा ही समाप्त हो गई।
दुश्मन के पास कई गुना अधिक सैन्य वल की जानकारी ने उसके होश उड़ा दिया।
तीन दिन तक अपने आप को और अपनी शक्ति का जायजा लेने के बाद उसने सकुशल अपने राज्य में लौटना ही मुनासिब समझा।
वादशाह ने सेनापति को बुलाकर आदेश दिया- कल सबेरे हम यहां से लौट रहे हैं। हमें जब जीत हासिल नहीं हो सकती तो क्यू सैनिकों को बेबजह मरवाया जाए। सेनापति को आदेश देकर वादशाह अपने शयनकक्ष में चलें गए। इतने उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिससे परेशान हो उठे। उन्होंने उस भेदिया को बुलाकर लाने के आदेश दिए।
जासूस के आते ही वादशाह ने सवाल किया- आप दुश्मन के खेमे में वेश बदलकर गए थे। आप मुझे बताए - दुश्मन के खेमे में चार--पांच जगह से रोशनी में धुआं क्यो दिख रहा है।
भेदिया ने ज़बाब दिया- जहांपनाह आप को जो धुआं दिखाई दे रही है, वह कुछ खास नहीं। सैनिक के भोजन बन रहे हैं।
अब वादशाह से रहा न गया। अगला प्रश्न उनका था - कई जगह क्यो ?
जासूस ने कहा -- हुजूर इनके राज्य में छूआछूत है। कुछ लोगों को निम्न जाति का बताकर ऊंची जाति वाले उनके साथ खाने पीने तो छोड़ें उनसे छू जाने पर स्नान करते हैं। राज्य में लोग जाति, वर्ग, धर्म के अनुसार बंटे हुए हैं।
यह खबर वादशाह को उनकी खोई आशा वापस कर गया। सेनापति को तलब किया-- सेनापति आप युद्ध की घोषणा कर दें। हम अब वापस नहीं जा रहे।
सेनापति को किंकर्तव्यविमूढ़ देख वादशाह ने कहा,- सेनापति राज्य चाहे कितना बड़ा हो, सैन्य वल हमसे चाहे अधिक है, पर विजय हमारी होगी। जिस जगह प्रजा, जाति, धर्म में बटी होती है वह देश भले कितना भी विशाल दिखे अंदर से खोखला होता है। कुछ लड़ाई हमारे सैनिक लड़ेंगे कुछ युक्ति हम लगाएंगे इन्हें जाति धर्म में फसाकर यह जंग हम जीत जाएंगे।
वादशाह दुर्दर्शिता सही निकली ,जंग में उनकी जीत हुई।
उसकी शोहरत से प्रभावित होकर एक वादशाह को जलन सी होने लगी। उसने सोचा क्यो न पड़ोसी राज्य पर चढ़ाई कर दी जाए। इस जीत में सोने जवाहरात के अलावे अस़ंख्य बहादुर सैनिक हासिल होंगे। साथ ही सैकड़ों सुन्दरिया हमारे हरम में आ जाएगी। इस विचार ने उसके आंखों की नींद छीन ली।
उसने सेनापति को बुलाकर अपनी इच्छा बताई। बादशाह ने कहा- इस जीत से हमारी शान में इजाफा होगा। जन धन की वृद्धि के साथ ही हमारे राज्य की क्षेत्रफल बढ़ जाएगे। सुना है पड़ोसी राज्य में अकूत संपत्ति है। आप अपनी सेना को इतिल्ला कर दें। हम कल सुबह ही पड़ोसी राज्य की सीमा पर होंगे।
अपनी दस हजार की सैन्य वल के साथ वह पड़ोसी राज्य पर चढ़ाई के लिए निकल पड़ा। सीमा पर पहुंच कर उसने अपने गुप्तचर को राजा के सैन्य वल की जानकारी लेने को भेजा। गुप्तचर ने आकर जो खबर सुनाई उसे सुनकर उसे अपने जीत की आशा ही समाप्त हो गई।
दुश्मन के पास कई गुना अधिक सैन्य वल की जानकारी ने उसके होश उड़ा दिया।
तीन दिन तक अपने आप को और अपनी शक्ति का जायजा लेने के बाद उसने सकुशल अपने राज्य में लौटना ही मुनासिब समझा।
वादशाह ने सेनापति को बुलाकर आदेश दिया- कल सबेरे हम यहां से लौट रहे हैं। हमें जब जीत हासिल नहीं हो सकती तो क्यू सैनिकों को बेबजह मरवाया जाए। सेनापति को आदेश देकर वादशाह अपने शयनकक्ष में चलें गए। इतने उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिससे परेशान हो उठे। उन्होंने उस भेदिया को बुलाकर लाने के आदेश दिए।
जासूस के आते ही वादशाह ने सवाल किया- आप दुश्मन के खेमे में वेश बदलकर गए थे। आप मुझे बताए - दुश्मन के खेमे में चार--पांच जगह से रोशनी में धुआं क्यो दिख रहा है।
भेदिया ने ज़बाब दिया- जहांपनाह आप को जो धुआं दिखाई दे रही है, वह कुछ खास नहीं। सैनिक के भोजन बन रहे हैं।
अब वादशाह से रहा न गया। अगला प्रश्न उनका था - कई जगह क्यो ?
जासूस ने कहा -- हुजूर इनके राज्य में छूआछूत है। कुछ लोगों को निम्न जाति का बताकर ऊंची जाति वाले उनके साथ खाने पीने तो छोड़ें उनसे छू जाने पर स्नान करते हैं। राज्य में लोग जाति, वर्ग, धर्म के अनुसार बंटे हुए हैं।
यह खबर वादशाह को उनकी खोई आशा वापस कर गया। सेनापति को तलब किया-- सेनापति आप युद्ध की घोषणा कर दें। हम अब वापस नहीं जा रहे।
सेनापति को किंकर्तव्यविमूढ़ देख वादशाह ने कहा,- सेनापति राज्य चाहे कितना बड़ा हो, सैन्य वल हमसे चाहे अधिक है, पर विजय हमारी होगी। जिस जगह प्रजा, जाति, धर्म में बटी होती है वह देश भले कितना भी विशाल दिखे अंदर से खोखला होता है। कुछ लड़ाई हमारे सैनिक लड़ेंगे कुछ युक्ति हम लगाएंगे इन्हें जाति धर्म में फसाकर यह जंग हम जीत जाएंगे।
वादशाह दुर्दर्शिता सही निकली ,जंग में उनकी जीत हुई।
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