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जुंबा - पर - मुस्कान - और - मिठास - रहने - दो

जिसके तारीफ के कसीदे पढ़ते रहे हम।
उनकी बुराई जब देखा तो दिल दहल गया।

पाकर मुस्कराना जानते हैं सभी।
खोकर मुस्कराने के लिए जीगर चाहिए ।

दुआओ की रफ्तार को जरा तुम गौर से देखो।
जुबाँ तक पहुँचने से पहले खुदा तक जो पहुँचे।

परेशान होने से मुसीबत कभी दूर नही होती।
बैठे बिठाए दिल का सुकून भी चला जाता है।

आंखो पर जिसके पर्दा चढ़ा गुरूर का।
वह क्या किसी के गुण को परख पाएगा।

दिल लगाना छोड़िए पौधे लगाईए।
जो घाव न दे दिल मे सुकून पाईए।

मंजिल पर पहुँचने का जज्बा बनाए रखिए।
मंजिल ना भी मिले, फिर भी तजूर्बा पाईए।

चलो चलकर बैठे हम अपनी- अपनी नाराजगी कह ले।
फैसले जो भी हो सह ले, दरमिया फासले कम कर ले।

हर रिश्तो मे इतनी सी एहसास रहने दो।
टूट जाओ कायम पर विश्वास रहने दो।
जिदंगी जीने का कुछ अंदाज हो ऐसा।
जुंबा पर मुस्कान और  मिठास रहने दो।

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