आईए आपको दाश्ताने चुनाव सुनाती हूं।
पुराने वादो को वो एक बार फिर दुहराते है।
खुली आंखों मे सपने वो नई नई सजाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार आते है।
मुफ्त की बिजली इन्टरनेट और लेपटॉप दिलाते है।
घर, गैस, और शौचालय दे आपको स्मार्ट बनाते है।
आपकी बेटी को अपना बता लाखो वादा कर जाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार तक आते है।
पानी गंगा यमुना गोदावरी का पीने योग्य बनाते है।
काम न दे सके तो क्या बेरोजगारी भत्ता दे जाते है।
मनरेगा का नाम दे आपको मुफ्तखोरी सिखाते है।
देश बेचकर खुद खाते है आपको जूठन दे जाते है।
वोट के खातिर आप तक चलकर पैदल आते है।
चुनाव मे अपने गुण औरो के अवगुण गिनाते है।
तहजीब भी कोई चीज होती है वो भूल जाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार तक आते है।
आपके वोटो से जीत कर ही वो संसद तक जाते है।
कुर्सी पाते ही जनता जनार्दन को वो उल्लू बनाते है।
चुनावी वादो का एतबार ना करने का सबक दे जाते है।
पाँच साल तक रास्ता वो आपके घर का भूल जाते है।
कुर्सी के लिए वो हर हथकंडे अपनाते है।
जोड़ तोड़ कर फिर अपना वो सरकार बनाते है
बहन बेटी ब्याहते समय जाति धर्म भूलने वाले।
जाति धर्म के नाम पर हम सबको लड़ाते है।
इस बार आकर नेता जी कुछ ऐसा न कर जाए।
नए वादे के चक्कर मे अपने भाईयो- बहनो को।
जीतने पर मिसाइल देने का वादा न कर जाए।
सरहद पर मरने वालो पर भी इनको सबूत चाहिए।
देश बेचकर अपने औलाद को जो विदेश पढ़ाते है।
चौपड़ के खेल मे बन शकूनी खेल वो जीत जाते है।
ऐ खुद भी झूठे है इनके वादे पर एतबार न करना।
अपने अमूल्य वोट इन्हे देकर देश बर्बाद न करना।
पुराने वादो को वो एक बार फिर दुहराते है।
खुली आंखों मे सपने वो नई नई सजाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार आते है।
मुफ्त की बिजली इन्टरनेट और लेपटॉप दिलाते है।
घर, गैस, और शौचालय दे आपको स्मार्ट बनाते है।
आपकी बेटी को अपना बता लाखो वादा कर जाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार तक आते है।
पानी गंगा यमुना गोदावरी का पीने योग्य बनाते है।
काम न दे सके तो क्या बेरोजगारी भत्ता दे जाते है।
मनरेगा का नाम दे आपको मुफ्तखोरी सिखाते है।
देश बेचकर खुद खाते है आपको जूठन दे जाते है।
वोट के खातिर आप तक चलकर पैदल आते है।
चुनाव मे अपने गुण औरो के अवगुण गिनाते है।
तहजीब भी कोई चीज होती है वो भूल जाते है।
नेता जी जब चलकर आपके द्वार तक आते है।
आपके वोटो से जीत कर ही वो संसद तक जाते है।
कुर्सी पाते ही जनता जनार्दन को वो उल्लू बनाते है।
चुनावी वादो का एतबार ना करने का सबक दे जाते है।
पाँच साल तक रास्ता वो आपके घर का भूल जाते है।
कुर्सी के लिए वो हर हथकंडे अपनाते है।
जोड़ तोड़ कर फिर अपना वो सरकार बनाते है
बहन बेटी ब्याहते समय जाति धर्म भूलने वाले।
जाति धर्म के नाम पर हम सबको लड़ाते है।
इस बार आकर नेता जी कुछ ऐसा न कर जाए।
नए वादे के चक्कर मे अपने भाईयो- बहनो को।
जीतने पर मिसाइल देने का वादा न कर जाए।
सरहद पर मरने वालो पर भी इनको सबूत चाहिए।
देश बेचकर अपने औलाद को जो विदेश पढ़ाते है।
चौपड़ के खेल मे बन शकूनी खेल वो जीत जाते है।
ऐ खुद भी झूठे है इनके वादे पर एतबार न करना।
अपने अमूल्य वोट इन्हे देकर देश बर्बाद न करना।
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