हमें गुस्सा बहुत आता है। अब आता है। दूसरों के गलती पर। वैसे कभी कभार अपने आप पर भी आ ही जाता।
इसका मतलब साफ़ है गलती सभी से होती है। कभी अनजाने में तो कभी जानबूझ कर।
अनजाने में हुई गलती क्षमा कर देना चाहिए या नहीं यह विचारणीय है। मान ले अनजाने में हमने कोई गलती कर दी जिससे किसी का भारी नुक्सान हो जाए तो क्या मुझे माफी मिलनी चाहिए।
मुझे एक वाकया याद आ रहा जब मेरी पड़ोसन मिक्सर मेरे से लेकर गई। संयोगवश उसके मोटर जल गए। दूसरे दिन वह उसे लाकर मेरे बच्चों को देकर चली गई। मैं बाज़ार से लौटी तो पता चला। दो दिन तक न मुझे उससे काम पड़ा, न मैने उसे देखा। तीसरे दिन मैंने जब उसे देखा तो दंग रह गई। यह क्या यह तो मेरी वाली नहीं। मिक्सर एकदम नई थी।
मैं उसे लेकर पड़ोसी के घर गई। वहां जाकर पता चला माजरा क्या है। उनकी गलती से मेरा नुकसान हुआ ,ऐसा सोचकर उन्होंने अपने आप को सजा दी ।
मैंने कहा मान लो अगर मोटर मेरे से जल गया होता ?
उन्होंने जो ज़बाब दिए उसपर मैं सोचने पर विवश हो गई।
दीदी सफलता का यही सूत्र है- गलती दूसरों कि हो माफ़ कर दो, वह सुधर जाएगा । सजा से उसमें सुधार मुश्किल है।
गलती अपनी हो तो अपने आप को माफ कभी न करो। अपने आप को माफी दोगे तो अपने मे सुधार असंभव है। अपने लिए कठोर सजा का प्रावधान रखो।
अपने लिए कठोर दूसरों के लिए नम्र दिल - यही सफलता की सीढ़ी है।
इसका मतलब साफ़ है गलती सभी से होती है। कभी अनजाने में तो कभी जानबूझ कर।
अनजाने में हुई गलती क्षमा कर देना चाहिए या नहीं यह विचारणीय है। मान ले अनजाने में हमने कोई गलती कर दी जिससे किसी का भारी नुक्सान हो जाए तो क्या मुझे माफी मिलनी चाहिए।
मुझे एक वाकया याद आ रहा जब मेरी पड़ोसन मिक्सर मेरे से लेकर गई। संयोगवश उसके मोटर जल गए। दूसरे दिन वह उसे लाकर मेरे बच्चों को देकर चली गई। मैं बाज़ार से लौटी तो पता चला। दो दिन तक न मुझे उससे काम पड़ा, न मैने उसे देखा। तीसरे दिन मैंने जब उसे देखा तो दंग रह गई। यह क्या यह तो मेरी वाली नहीं। मिक्सर एकदम नई थी।
मैं उसे लेकर पड़ोसी के घर गई। वहां जाकर पता चला माजरा क्या है। उनकी गलती से मेरा नुकसान हुआ ,ऐसा सोचकर उन्होंने अपने आप को सजा दी ।
मैंने कहा मान लो अगर मोटर मेरे से जल गया होता ?
उन्होंने जो ज़बाब दिए उसपर मैं सोचने पर विवश हो गई।
दीदी सफलता का यही सूत्र है- गलती दूसरों कि हो माफ़ कर दो, वह सुधर जाएगा । सजा से उसमें सुधार मुश्किल है।
गलती अपनी हो तो अपने आप को माफ कभी न करो। अपने आप को माफी दोगे तो अपने मे सुधार असंभव है। अपने लिए कठोर सजा का प्रावधान रखो।
अपने लिए कठोर दूसरों के लिए नम्र दिल - यही सफलता की सीढ़ी है।
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