🌧️🐭 "चूहे जी की छतरी: बारिश में फंसी सवारी"
हमारे घर के नियम थोड़े अलग हैं — इन्सानों की बाद में पहले जीवों की भावनाएं 🤔मेरे पतिदेव जीव दया के ऐसे प्रबल समर्थक हैं कि घर में चूहे को देख कर भी उनके चेहरे पर दया उमड़ पड़ती है।
हमारे घर में इंसान तो रहते ही हैं — पर कुछ मेहमान ऐसे भी हैं जिन्हें भगाने का कोई प्रबंध करना गुनाह है 😀
पत्नी की भावना का ख्याल ? पत्नी की भी भावना का ख्याल रखना यानी अपने आप को मर्द कहलाने से वंचित रखना।
आप अगर समझ रहे हैं 😀चूहे जैसे ‘अतिथि’ को भगाने का प्रयास करना यहां अनुचित माना जाता है, तो आप बिलकुल सही हैं।
क्योंकि मेरे पतिदेव का मानना है:
"चूहा कोई मामूली जीव नहीं है, वह गणेश जी की सवारी है! उसकी सेवा करो, सत्कार नहीं तो कम से कम सम्मान करो।"
🌸 एक बार हम कुछ दिनों के लिए घर से बाहर चले गए थे। लौटे तो वार्डरोब से दुर्गंध और गम की कहानी मिली — मेरी 16 प्यारी साड़ियों को चूहों ने ऐसे काटा जैसे कोई फैशन शो हो रहा हो। दिल टूटा, लेकिन उस दिन घर में चूहों की कलाकारी पर गंभीर चर्चा हुई।
एक पत्नी का सबसे बड़ा दर्द - जब पतिदेव पत्नी के गम में भावुक ना हो, आपको सुनने को मिले - गलती आपकी है लोहे की आलमारी में रखना था।
मैंने भी कई घरेलू उपाय आजमाए — ऑर्गेनिक चूहे भगाने वाले नुस्खे, यूट्यूब पर चूहा भगाने के टिप्स डाले, कपूर से लेकर पुदीने के तेल तक।
कुछ समय के लिए चूहे नदारद हुए, लेकिन फिर… मानो उन्हें मेरी साड़ियों की याद सताने लगी। मेरी साड़ी उनके फेवरेट डिश जो ठहरा 😀
अब चूहे जी ने भी इस भावना का भरपूर लाभ उठाया।
उन्होंने वार्डरोब को अपना ड्राइव-थ्रू समझ लिया। मेरी 16 साड़ियों को एक-एक करके ‘टेस्ट’ किया।
ऐसी विविधता तो फैशन वीक में भी नहीं मिलती — एक साड़ी में गोल छेद, दूसरी में फैले हुए फ्रिंज, तरह-तरह के डिजाइन में काटा।
मैंने दुख जताया, और पतिदेव बोले,
"कला को समझो — चूहा भी अपनी कला दिखा रहा है।" कितने सारे डिजाइन में काटा है 😀
(इस दर्शन से मेरा दुख और बड़ा दार्शनिक हो गया।)
अब आई बरसात।
बरसात में जैसे ही बादलों ने मोर्चा संभाला, घर में सन्नाटा पसर गया — चूहे नदारद!
न कोई खटपट, न कोई कुतर-कट।
मैंने उत्साह से पतिदेव से पूछा----
मैंने पतिदेव से पूछा, “कुछ दिनों से चूहे नहीं आ रहे, वजह क्या हो सकती है ?”
“क्या कोई नया उपाय काम कर गया? या चूहा जी ने संन्यास ले लिया?”
मेरे यहां इन दिनों बारिशें कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो गई हैं। मैंने गौर किया — चूहे नहीं आ रहे हैं
वो बोले, “बारिश जो हो रही है… चूहा भी तो भीगने से डरता होगा।”
🤣 मेरी हंसी ऐसे फूटी जैसे पहली बारिश में ठहाका!
मैंने चुटकी ली:
“तो फिर क्या? एक छाता खरीद लेते हैं उसके लिए! एक कार्ड भी😂😂😂
*शुभ सावन* ---लिखवाइए, 'प्रिय चूहा जी, बारिश में छाता लगाकर आइए। चूहा जी पधारों मेरे द्वार 🙏घर में आपकी प्रतीक्षा है।'”😂
अब सोच रही हूँ, अगली बार उसे एक छोटा सा कार्ड मेरे तरफ़ से 🥺भी दे दूँ — “आपका स्वागत है, किंतु कृपया साड़ियों से दूर रहें। स्नैक्स किचन में उपलब्ध हैं!” उसका लुत्फ़ उठाएं😀 बारिश से बचने के लिए छाता का उपयोग करें 🙏
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