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Mard ki khamosh Muhabbat

 

Mohtarma Yahi to Muhabbat hai 


ऐ ख़ातून, एक बार 🤔

अगर एक बार तुम उसकी ख़ामोशी को सुन लो,  

तो तुम सिर्फ़ उसकी महबूबा नहीं,  

बल्कि उसकी रूह की हमसफ़र बन जाओगी।


मर्द की ख़ामोश मोहब्बत

🌙 "मोहब्बत जो सन्नाटे में साँस लेती है"  



वो शख्स जो ज़माने के हंगामों में खोया रहता है, 

पेशानी पे जिम्मेदारियों का नक़्शा लिखा रहता है।

 

जिसने जज़्बातों को दफ़न कर दिया बचपन में,  

जो खुद को भूला दिया , सिर्फ़ रिश्ते निभाने में।


जो अपनी दास्तान नहीं कहता, 

आंखें हर लम्हा बयान करती है।

 

वो जो प्यार नहीं जताता कभी भी,

पर मोहब्बत सिद्दत से निभाता है।


जबाबों की भीड़ से बचता रहता है।

चुप्पियों में इजहार किया करता है।


वह ना शायर है ना फिलासफर है।

उसकी आंखें है जो गज़ल कहती हैं।


खामोश तसव्वुर रूह से प्यार करता है।

हर त्याग में तेरी खुशी का इकरार है।


ठिठूरते हुए वो जैकेट तुम्हें पहनाता है।

तुम्हारा दुख उसका फ़र्ज़ बन जाता है।


पेट भर गया कह तेरे लिए रोटी बचाता है।

तुम्हारी चुप्पी में भी तेरा थकान पढ़ता है।


उसकी मोहब्बत को महंगे तोहफों से मत आंको,

तेरे सुकून के लिए हर रोज़ जिंदगी से लड़ता है।


उसके अंदर के उस कोने में झांककर देखों।

जहां बच्चों की फ़ीस है और घर की EMI है।



ताकि तुम्हें सुकून मिल सके—

मोहतरमा यहीं तो मोहब्बत है।


उसके अंदर एक कोना है, जहाँ वो रोता है,  

बिना आँसू, बिना आवाज़, सिर्फ़ सिसकियाँ।


वो टूटता है जब तुम कहते हो हर बार,

 "तुम्हें कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता''


 कोई जीए या मरे तब मर्द टूटता है।

उसका प्रेम वहीं दम तोड़ देता है।


सांसे चलती है जिंदगी गूंगी हो जाती है।

तुम्हारी बेरूखी उसे अंदर झकझोरती है।

उसकी मुहब्बत बहरी गूंगी हो जाती है।


हार जाता है जहां उसे समझा नहीं जाता।

जहां उसने अपना सबकुछ रख दिया था।


एक बार तुम उसकी आँखों में झाँको,  

देखो वहाँ एक तन्हा इश्क़ है, जो सिर्फ,

तुम्हारे नाम की स्याही में लिखा गया है।


वह बहुत कुछ नहीं चाहता है तुमसे?

वो नहीं चाहता कि तुम उसे समझो,  


बस इतना—कि कभी कह दो,  

“मैं हूँ… तुम्हारे साथ… हमेशा।”

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