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Maun ki awaz hridya tak jati hai

 🌕 गुरु पूर्णिमा पर एक कविता: ज्ञान का दीप 🕯️


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हे गुरु! तुम शून्य में भी अर्थ खोज लाते हो,  

अंधेरों में नमी सी तुम्हारी वाणी भर जाती है।  

सिर्फ शब्दार्थ नहीं, भाव भी सिखा दी तुमने,

शरीर और आत्मा का भेद समझाया तुमने।


तुमसे ही तो आत्मा सोचने लगी है।


तुम कोई पुस्तक नहीं, अनुभव का मर्म हो,  

चलते हुए सही पथ पर ठहरने का धर्म हो।

  

तुमसे ही तो जाना,मौन भी बोलता है,

मौन की आवाज ह्रदय तक जाती है।


और सच्चा प्रकाश खोज वहां पाती है।

सच से सामना भी भीतर ही तो होता है।


तुमने सिखाया कि झुकना हार नहीं है,  

वह तो पुल है जो आगे की ओर जाता है।  

तुम ही वो दीप हो, जो खुद जल कर भी,

संसार को रोशन कर जाता है।


गुरु पूर्णिमा पर मैं आभार व्यक्त करती हूं,  

उन सभी क्षणों के लिए जहां तुमने थामा था।  

तुमने पढ़ाया ही नहीं, जीने का तरीका सिखाया,  

तुमने शब्दार्थ ही नहीं, जीवनार्थ दिया मुझको।


हे गुरु! तुम्हारे चरणों में सादर प्रणाम है मेरा,  

इस यात्रा में तुम्हारा संग ही वरदान है मेरा।

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