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आज-की-ताजी-घटना

आज होली के दो दिन बाद भी होली की खुमारी नही गई थी। बच्चो की मस्ती और गप्प साथ मे चाय की चुसकिया। सभी हंसी-मजाक के रंग मे डूबे थे। अतिथि कक्ष मे कुछ सोफे पर थे।
कोई जगह की कमी से खड़े ही अपनी हांक रहा था। एक बच्चा दिवान पर लेटकर डींग मार रहा था।
नाश्ते टेबल पर रखे हुए थे, जिसमे केले भी थे। सभी अपनी अपनी सुना रहे थे किसी को नाश्ते करने की जल्दी नही थी।
बाई (कामवाली) झाड़ू लगा रही थी।

इतने मे एक हनुमान  (बंदर) का धीरे धीरे घर मे प्रवेश होता है। हनुमान आकर बच्चे के बगल मे बैठकर चुपचाप हमारी बातो को ऐसे सुन रहे थे जैसे यहाँ रामायण पाठ चल रहा हो।

वह तो एकाएक बाई की नज़र गई हनुमान पर, लेकिन ऐसा सीन देखकर उसकी घीघी बध गई ।
उसके अजीबोगरीब आवाज ने सबका ध्यान खींचा । हम सभी घबरा से गए। एक मोटा तगड़ा ,काला लंगूर बच्चे के बगल मे बैठा देखकर।
इतने मे उस बच्चे ने भी बंदर को देख लिया। बाद मे उसने बताई डर से मेरी ना तो आवाज निकल रही थी,ना ही मै भाग पास रहा था। कुछ क्षण के लिए सभी को सांप सूंघ गया।फिर धीरे से बच्चा दिवान से नीचे उतर आया।
मेरे पतिदेव ने बाई को झाड़ू चलाने से मना कर दिए । झाडू मत चलाओ आज शनिवार है,हनुमान जी पधारे है। उन्होने एक केला तोड़कर उसके तरफ बढाए ताकि वह दिवान से नीचे तो आए। पर यह क्या - वह दिवान से बैठे बैठे पूरा दर्जनभर केले उठा लिए और दिवान पर बैठकर छीलको उतारकर फेंकता रहा।
हम सभी समझ नही पाई रहे थे क्या किया जाए । वह केले खाते हुए हम सभी को घूर रहा था।
दुर्भाग्य वश ही कहो मै नास्तिक नही तो इतनी बड़ी आस्तिक भी नही की एक बंदर को भगाने मे डंडे का इस्तेमाल न करू। 
मै बाहर से एक डंडा लेकर आई । यह जानते हुए कि मेरे पतिदेव जो चूहे को गणेश जी की सवारी मानकर नही मारते वो इस बंदर को मारेंगे जो साक्षात हनुमान है।
वही हुआ जिसकी मुझे आशंका थी। उन्होने मुझे डंडा रख देने की हिदायत दी।
अब तक सारे केले उसने चट्ट कर लिए थे, खाते वक्त एक टूटकर नीचे आ गया था।
 मैने पतिदेव को इशारे से कहा (डर से मेरी बोलती बंद थी) कि जमीन पर का केला उठाकर उसे दिखाते हुए बाहर ले जाए ।
हमारा मिशन कामयाब हुआ हनुमान जी केले के लिए धीरे धीरे गेट से बाहर चले गए।
हम सभी ने चैन की सास ली। जब होश मे आए तो पता चला बाई ने डरकर अपने आप को रसोईघर मे कैद कर रखा है।
आज दिनभर हम अपने पूर्वज की चर्चा मे बिताए ।
पतिदेव का कहना है- हनुमान जी हमे आशिर्वाद देने आए थे।😀
मै कहती हू - आशीर्वाद के साथ अगर दो चार झापड़ रसीद कर जाते या नोच खसोट जाते तो ???

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