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अवसाद- के-लक्षण

आज भाग दौड़ की जिंदगी में अवसाद सामान्य सी बात भले लगती हो लेकिन इसके प्रभाव बड़े खतरनाक हो सकते हैं।
अवसाद के कारण:--
 अवसाद के हजारों कारण हो सकते जैसे- नौकरी का न होना या मनमुताबिक न होना। घर का माहौल सुखद न हो। बहुत बार डिप्रेशन का वजह थायराइड जैसी बिमारियों भी होती है।दरअसल आज तक इसका सही पता नहीं लगाया जा सका इसके मुख्य कारण क्या है ? आज सोसल मीडिया के दौर में तो आप अपने पिक्चर पर लाईक कम आने से भी अवसाद में जाने वालों को भी देख सकते हैं।
आपके साथ कोई अप्रतिम घटना घट जाए, तो आप हर समय उसे सोचकर परेशान रहते हैं। यह सोचने की इश्वरिए देन है, हमें सोचने-समझने की क्षमता दी गई है। अब जरा ध्यान से देखें क्या किसी एक ही बात को सोचते रहना हमें रोगग्रस्त नहीं बना रहा।
जी हां, आप किसी पोजिटिव सोच को ही लेकर चले। सारे समय सोचते रहें
,आप पाएंगे यह पोजिटिव सोच कब निगेटिव में बदल गई और आपको पता भी नहीं चला। हर वक्त सोचने की आदत आपके स्वास्थ्य के साथ आपकै कार्यक्षमता पर भी बुरा प्रभाव छोड़ती है और आपको अवसादग्रस्त बना देती है।
सोचना बुरी बात नहीं है, लेकिन सोचते रहना एक मानसिक बिमारी है। इससे बचने के प्रयास करें। यह अधिक सोचते रहने का रोग आपको शारीरिक रूप से भी कमजोर बना डालता है। ऐसे लोगों में नींद न आने या अधिक आने की शिकायत देखने को मिलती हैं।
किसी किसी में भूख न लगने या फिर अथिक भूख लगने की बाते भी सुनने में आती है। हम सभी को पता है दोनों स्थति हानिकारक है।
अवसाद ग्रस्त लोगों को किसी काम में मन नहीं लगता।उन्हें कोई खुशी रास नहीं आती। वे हमेशा दुखी रहना, दर्द भरे नगमे सुनना चाहते हैं। ऐसे माहौल में जहां खुशी का वातावरण हो जाना नहीं चाहते। अगर जाना पड़े तो वहां भी कुछ न कुछ दुखी हौने का बहाना ढूंढ लेते हैं। ज्यादा सोचना वह सुरंग की तरह है जिसका कोई अंत नहीं है।
कुछ छोटी-छोटी बातों को अपनाकर अवसाद से छुटकारा पाया जा सकता है।,.....
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