अवसाद शयद अवसरवाद का नतीजा है। एक ही बातो को सोचते हुए दुखी रहना, अकेलेपन पसंद आना हर समय मन मे निराशा का भाव, किसी काम मे मन का नही लगना, नींद न आना या अधिक आना यह अवसाद का लक्षण बताता है। अगर ऐसा है तो आप यह गांठ बांध ले इससे बाहर आना आपके हाथ मे है। इसमे आप अपनो के साथ अपने दोस्तो की मदद ले।
(1) सबसे पहले आप खुद को इससे बाहर आने को तैयार करे। आज भाग दौर की जिदंगी मे यह आम बात हो गई है।
अपने विश्वासी लोगो जिसमे आपके दोस्त भी आते है, उनसे अपनी परेशानी शेयर करे। ऐसे मे जो आप की बातो को ध्यानपूर्वक सुने वैसे लोगो से बात करे। इस तरह आप देखेंगे आपको हल्का महसूस हो रहा है
एक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने परिवार और रिश्तेदार को नाखुश कर बैठता है।
अगर शुरुआत मे ध्यान न दिया जाए तो वह सुसाइड भी कर सकता है। यह भी अवसाद का एक लक्षण है। कही आना जाना लोगो से मिलना जुलना बंद न करे। आपको ऐसा करना अच्छा नही लगेगा लेकिन यह आपके लिए लाभदायक है।
(2) अपने रहन-सहन, खान-पान पर ध्यान दे। हेल्दी भोजन ले। मार्केट के भोजन से दूरी बनाए ।
(3) योगासन- अपने दिनचर्या मे योग को स्थान दे। आप इसके फायदे खुद महसूस करेगे। व्यायाम से दिमागी तनाव दूर होगे। शरीर मे तनाव उत्पन्न होने वाले हार्मोंस बनने कम होते है जिससे हर समय छाई रहनेवाली उदासी से मुक्ती मिलती है। योगा के अलावा टहलना ,तैरना भी फायदेमंद साबित होगा। तो सुबह टहलना और थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज को अपनाकर हमेशा सोचते रहने के रोग से निजात पाईए ।
(4) दोस्त और दोस्ती- जी हा आपके दोस्तो को अपनी समस्या बताईए। सच मानिए आपके हर समस्या का हल मिल जाएगा। आप अकेले सोचना छोड़कर दोस्तो के साथ फिल्म जाए, पार्क मे बैठकर गप्पे मारकर देखे, आपका तनाव गायब हो जाएगा और आप अपने आप को तरोताजा महसूस करेगे।
(5) सामाजिक बने- मनुष्य जन्म से ही सामाजिक है। वह अकेला नही रह सकता। अकेले मे फिर से बार बार वही विचार नही घेर पाएगे अगर आप अपना समाजिक दायरा बढ़ा ले। बाहर आप लोगो से मिलेगे तो नीम नई जानकारी मिलेगी । आपका ध्यान पूरानी बातो से हटेगा।
(6) शौक- जी हा अगर आपको कोई शौक नही तो पाल कर देखे। शौक कोई भी हो मसलन गाना सुनना, कोई पालतू जानवर या फिर बागवानी। शौक कोई भी हो आपके दिलोदिमाग को संतुलित करते है और फिर आपके पास समय ही कहां बचेगा भूतकाल मे जाने के लिए ।
(7) मन की बात- अपने मन की बातो को लिखना शुरू करे। कागज पर, फेसबुक पर, ब्लाग पर जहां मर्जी हो कहानी,कविता या फिर कोई लेख। बाते जो सोचकर आप अपने को अवसाद ग्रस्त बना रहे थे वही लिखकर आपके लिए दवा बन जाएगी।
(8) अवसाद कोई पागलपन नही है।आज हम भौतिक वाद मे जीवन रहे है, संयुक्त परिवार कि टूटना, बड़े बुजुर्ग का साथ न रहना, अतिमहात्वाकाक्षी होना, संतान का व्यवहार हजारो कारण इसके जिम्मेदार है।
जरूरत महसूस हो तो साईकोलिजीस्ट या डाक्टर से जरूर मिले।
(9) भगवान का दिया यह जीवन अमूल्य है। खुद खुश रहे औरो को खुशी बांटे। जिसके पास जो रहता है उसे ही तो बाटेगा। आइए आज खुद से एक वादा करे अपने सोच की दिशा बदले सब कुछ बदल जाएगा।
नोट- आपके कोई सवाल हो तो आप पूछ सकते है।
(1) सबसे पहले आप खुद को इससे बाहर आने को तैयार करे। आज भाग दौर की जिदंगी मे यह आम बात हो गई है।
अपने विश्वासी लोगो जिसमे आपके दोस्त भी आते है, उनसे अपनी परेशानी शेयर करे। ऐसे मे जो आप की बातो को ध्यानपूर्वक सुने वैसे लोगो से बात करे। इस तरह आप देखेंगे आपको हल्का महसूस हो रहा है
एक अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने परिवार और रिश्तेदार को नाखुश कर बैठता है।
अगर शुरुआत मे ध्यान न दिया जाए तो वह सुसाइड भी कर सकता है। यह भी अवसाद का एक लक्षण है। कही आना जाना लोगो से मिलना जुलना बंद न करे। आपको ऐसा करना अच्छा नही लगेगा लेकिन यह आपके लिए लाभदायक है।
(2) अपने रहन-सहन, खान-पान पर ध्यान दे। हेल्दी भोजन ले। मार्केट के भोजन से दूरी बनाए ।
(3) योगासन- अपने दिनचर्या मे योग को स्थान दे। आप इसके फायदे खुद महसूस करेगे। व्यायाम से दिमागी तनाव दूर होगे। शरीर मे तनाव उत्पन्न होने वाले हार्मोंस बनने कम होते है जिससे हर समय छाई रहनेवाली उदासी से मुक्ती मिलती है। योगा के अलावा टहलना ,तैरना भी फायदेमंद साबित होगा। तो सुबह टहलना और थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज को अपनाकर हमेशा सोचते रहने के रोग से निजात पाईए ।
(4) दोस्त और दोस्ती- जी हा आपके दोस्तो को अपनी समस्या बताईए। सच मानिए आपके हर समस्या का हल मिल जाएगा। आप अकेले सोचना छोड़कर दोस्तो के साथ फिल्म जाए, पार्क मे बैठकर गप्पे मारकर देखे, आपका तनाव गायब हो जाएगा और आप अपने आप को तरोताजा महसूस करेगे।
(5) सामाजिक बने- मनुष्य जन्म से ही सामाजिक है। वह अकेला नही रह सकता। अकेले मे फिर से बार बार वही विचार नही घेर पाएगे अगर आप अपना समाजिक दायरा बढ़ा ले। बाहर आप लोगो से मिलेगे तो नीम नई जानकारी मिलेगी । आपका ध्यान पूरानी बातो से हटेगा।
(6) शौक- जी हा अगर आपको कोई शौक नही तो पाल कर देखे। शौक कोई भी हो मसलन गाना सुनना, कोई पालतू जानवर या फिर बागवानी। शौक कोई भी हो आपके दिलोदिमाग को संतुलित करते है और फिर आपके पास समय ही कहां बचेगा भूतकाल मे जाने के लिए ।
(7) मन की बात- अपने मन की बातो को लिखना शुरू करे। कागज पर, फेसबुक पर, ब्लाग पर जहां मर्जी हो कहानी,कविता या फिर कोई लेख। बाते जो सोचकर आप अपने को अवसाद ग्रस्त बना रहे थे वही लिखकर आपके लिए दवा बन जाएगी।
(8) अवसाद कोई पागलपन नही है।आज हम भौतिक वाद मे जीवन रहे है, संयुक्त परिवार कि टूटना, बड़े बुजुर्ग का साथ न रहना, अतिमहात्वाकाक्षी होना, संतान का व्यवहार हजारो कारण इसके जिम्मेदार है।
जरूरत महसूस हो तो साईकोलिजीस्ट या डाक्टर से जरूर मिले।
(9) भगवान का दिया यह जीवन अमूल्य है। खुद खुश रहे औरो को खुशी बांटे। जिसके पास जो रहता है उसे ही तो बाटेगा। आइए आज खुद से एक वादा करे अपने सोच की दिशा बदले सब कुछ बदल जाएगा।
नोट- आपके कोई सवाल हो तो आप पूछ सकते है।
1 Comments
Nice very good
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