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मौत तो मेरे साथ रहेगी

पर कटे परिंदे की तरह बेबस से है हम।
जिन्दगी तेरे जाल में यू फंसे हुए हैं हम।

दुश्वार तो बहुत था तुमको सम्भालना।
मैंने तुम्हें सम्भाला भी प्यार भी किया।

अब तेरी मर्जी है सम्भालो या पटक दो।
मौत की निवाला बनने से पहले कुछ तो कर दो।

पतंग उड़ती है हमेशा हवा के जोर से।
जाने कब हवा ही अपना रुख़ बदल दे।

जग से चलूंगा तो गुनाह मेरे साथ हो लेगी।
जानता हूं कभी जन्नत मुझे नसीब न होगी।

गम हो या कि हो खुशी कोई साथ हमेशा रही नहीं।
हर पल आने - जाने है कोई ठहरता पल है ही नहीं।

हम तन्हा नहीं रहेंगे गर तू जो साथ न होगी।
तू न होगी तो क्या मौत तो मेरे साथ रहेगी।

जिस्म का सफर मैने तेरे संग-संग ही तय किया।
जितना जीना था तेरे साथ, तेरे हुक्म से जीया।

हंसते हुए चेहरे से जग को भरमाता रहा सदा।
अपने किरदार को ही खुद झूठलाता रहा सदा।

मुश्किल बहुत था हंसते हुए चेहरों से सबको भ्रम में रखना।
आंखों में मौत का खौफ लिए मंजिल बगैर सफर को काटना।

मुझे बद्दुआ देने वालों में वही थे शुमार।
जिनके लिए मेरे होंठों से दुआ निकली।

थक गया हूं ऐ जिन्दगी अब मुझे सो जाने दे।
तू चली जा मुझे कब्र में चैन से लेट जाने दे।
तमाम उम्र का हूं जगा हुआ नींद आ जानें दे।




मेरे होंठों से दुआ निकली

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