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पिता-पुत्र संवाद

पिताश्री आपका अंश आपको नमन करता है।
श्रद्धा सुमन अर्पित कर चरण बन्दन करता है।

आपसे मिला यह जीवन आज समझ में आया है।
आपका ही अंश मेरा अंश बन गोद मेरे आया है।

आकाश छूने को मिला जो कंधा तो दर्द सारा भूल गया।
सारे टूटे हुए खिलौने का दर्द कंधे पर चढ़ मै भूल गया।

चलना ऊँगली पकड़ सिखाया भी और गिरने से बचाया तूने।
मुश्किल घड़ी मे भी डगमगाते कदमो को दिया सहारा तूने।

भविष्य मेरा संवारने हेतू वर्त्तमान से समझौता किया तूने।
सम॓दर बन तुम खारा बने रहे अमृत घूंट हमे पिलाया तूने।

मां के हर श्रृंगार मे तुम हो,  मेरे हर सौभाग्य मे तुम हो।
जहां खड़ा उस जगह के हर सीढ़ी और पैदान मे तुम हो।

हे जन्मदाता तुम हो मेरे भाग्यविधाता।
तुम बिन यह जीवन मै कहां से पाता।

तेरा साया यू ही हमेशा मेरे सर पर मेरे बना रहे।
तुमसे सिखा हर पाठ हमेशा यू ही हमको याद रहे।

पिता बना तब तेरा सब दुख- दर्द समझा हमने।
बैठ पीठ पर घोड़े को सौ-सौ कोड़े दिया हमने।

तुम कहते थे न रोना कभी कोई भी चाहे मुसीबत हो।
रोने से नही हिम्मत रखने से ही जिन्दगी आसान हो।

फादर्स डे

आपसे सीखा हर सीख मेरे जीवन भर का आधार हो।
चाहे कुछ ना हो ऐ खुदा हर बच्चे को पिता का प्यार हो।

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2 Comments

  1. Extraordinary, unparallel poemfor younger generations. A must read for everyone especially kids and youngsters.

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  2. Extraordinary, unparallel poemfor younger generations. A must read for everyone especially kids and youngsters.

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