Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

पांव काट दिया

मंजिल करीब आते ही मेरा पांव काट दिया।
कौन सी दुश्मनी थी यारा तुमने निभा दिया।

मर ही जाता मैं तेरी मीठी मुस्कान पर।
अच्छा किया जो तुमने चेहरा छुपा लिया।

तुम्हारी नाज़ उठाने को जमीं पर बैठा ।
ऐ मिट्टी तूं मुझे कभी शर्मिंदा नहीं करती।

अपनी तमन्नाओं से समझौता किया तमाम उम्र।
अब कोई भी तमन्ना मेरा पीछा नहीं करती।

मर्ज फैलने के बाद मरहम लगाने से क्या हासिल।
कब्रे मुकर्र में सोए को मुमबत्ती से होगा क्या हासिल।

बस एक ही झटके से टूट गई जंजीरें वफ़ा।
अधूरी सी मुहब्बत हमारे दरमियान निकली।
पांव काट दिया

Post a Comment

0 Comments