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एक और धृतराष्ट्र

महेश के चेहरे की रौनक बता रही थी, वह कोई अच्छी ख़बर सुनाने वाला है। अपने जूते के फीते खोलते हुए मुस्कराहट छुपा नहीं पा रहा था।
सुनिता ने पूछ ही लिया- बड़े खुश दिखाई दे रहें हो लग रहा बात बन गई ?
अरे पगली बात बनने की पूछती हो - अब तो चूनने का सोचो, दोनो लड़के वाले ने हां कर दी। हाथ मुंह धोकर आता हूं , तुम चाय बना लाओ। मां को भी विचार विमर्श के लिए बुला लो। पिताजी के जाने के बाद से बस उन्हे रेशमा की शादी की चिंता खाई जा रही है । आखिर वह मां है और हम भाई भाभी ठहरे।

नहीं जी ऐसा क्यों कहते हैं उन्होंने कभी मुझे अपनी बेटी से कम नहीं समझा। आप जो भी करेंगे रेशमा के भले के लिए करेंगे , यह जानती है रेशमा।

महेश के आते सभी बैठकखाने में चाय पर आ गए। सुनिता चाय लेकर नहीं आई तो महेश को आश्चर्य हुआ। वह सीढ़ियों से उतरता जा रहा, मन में कुछ आशंका सी हो रही। कहीं कोई मुसीबत ना आ पड़ी हो। सुनिता भी थोड़ी जल्दबाजी में रहती कई बार घायल हो चूंकि है, अभी तीन चार महीने पहले ही तो कीचेन में छीलके पर फिसलकर गीर चूंकि है। वह तो भगवान की कृपा रही कि हड्डी में टूट फूट नहीं हुई।

रसोई में पहुंच कर सुनिता को सही सलामत देख तसल्ली हुई। तुम ठीक तो हो सून्नी (प्यार से ) मैं तो डर ही गया था। अरे तुम चाय बना रही हो या बीरबल की खिचड़ी ?

नहीं जी मैं आपका इंतजार कर रही थी। मुझे आपसे एक जरूरी बात करनी है - आप कह रहे थे दोनों जगह लड़केवाले ने हां कर दी। मैं सोच रही क्यो न बेबी का भी ब्याह कर दिया जाए ?

महेश एकाएक उछल पड़ा - अरे क्या पागल सी बातें कर रही हो ? बेबी अभी बच्ची है ।

सुनिता झपट पड़ी - खाक बच्ची है , बारहवीं कक्षा पास कर ली। अब आगे पढ़कर क्या बैरिस्टर बनेगी ? मैं जब ब्याहकर तुम्हारे घर आई थी चौदह वर्ष की थी।
नहीं- नहीं ऐसा नहीं हो सकता , पहले जमाने की बात अलग थी। गवांर जैसी बात ना करो।

सुनिता को लगा उसका प्लानिंग फेल न हो जाए तो उसने प्यार से समझाने की कोशिश की -देखो जी बेबी अपनी संतान है, परन्तु भगवान ने जो शक्ल सूरत दी है ,उपर से सांवली त्वचा ,पैर के जूते घिस जाएगे ब्याहने में। आज-कल लड़को के हजारों नखरें है।

कुछ देर की शान्ति छा गई।

महेश सोच में सुनिता की चिंता सही है ? क्या यह उचित है ?

सुनिता सोच रही थी मेरे बातों का कुछ असर हुआ या नहीं ?

चुप्पी महेश ने तोड़ी - चलो तुम्हारी बात मान लेता हूं, दोनो को एकसाथ निपटा देता हूं।

सुनिता ने पूछा - अब जब तुमने भी हामि भर दी है तो दोनों लड़के के बारे में मुझे जानकारी दो ताकि मैं एक को बेबी के लिए चुन लूं ?

अरी भाग्यवान चुनना क्या है ?

भवनाथपुर वाले लड़के की उम्र और पढ़ाई दोनों अधिक है उससे रेशमा को ब्याह देंगे और बेबी को गया वाले लड़के से। उसकी उम्र भी कम है बी ए में है । कह रहे थे लड़के की दादी शादी देखने की रट लगा रही है इसलिए शादी करनी पर रही है।
सुनो जी तुम तो रहे माटी के माधो, उम्र में थोड़ा अंतर है तो क्या हुआ ? पढ़ाई भी अधिक कर रहा, कल को क्या पता शादी के बाद गया वाला पढ़ाई छोड़ दें। मुझे भवनाथपुर वाला लड़का ही बेबी के लिए पसंद है।

अपने संतान के प्रति हर इंसान धृतराष्ट्र होता है। महेश ने - हां कर दी, मन में एक डर लिए लड़केवालों ने रेशमा के लिए हां की है ? बहुत देर तक मन में बात काटती रही फिर अपनी पत्नी के सामने उसने बात रखी।

सुनिता चहक उठी , अब तो आप भवनाथपुर वाले लड़के से ही ब्याहों बेबी को। इन लोगों ने दूर के रिश्तेदार से पता की है डायरेक्ट देखा नहीं है जबकि गया वालों ने रेशमा को मंदिर में बुलाकर देखा है।

बातें करते हुए दोनों उपर बैठकखाने में पहुंच गए। मां कब से बैठी इंतजार कर रही थी।

महेश ने कहा -मां रेशमा की शादी पक्की हो गई। साथ ही आपको जानकर खुशी होगी मुझे एक लड़का और पसंद आ गया और मैंने बेबी की शादी भी तय कर दी, दोनो की शादी एक ही खर्च में निपट जाएगा।

बूढ़ी आंखें अथिक खुशी बर्दाश्त नहीं कर पाती। मां के आंखों से आंसू के धार बह चले।

समय पंख लगाकर उड़ता रहा शादी के बाद बेटियां अपने अपने घर चली गई।

कहते हैं किस्मत बड़ी चीज है। भावी प्रवल होता है।
रेशमा आज जुडिशल मैजिस्ट्रेट की पत्नी कहलाती है और बेबी के तलाक की अर्जी कोर्ट में डाली गई है - जिसमें जमीन बेचकर, शराब पीकर पत्नी को मारने पीटने का आरोप हैं।



Ekourdhitrastra

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