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मुझ में तूममे बस फर्क है तो फर्क है इतना, मिली न किश्ती मुझे तो तुम को भी साहिल न मिला

मुझमे और तुममे बस फर्क है तो फर्क है इतना।
मिली न किश्ती मुझे तो तुमको साहिल न मिला।

जाने किस कलाकार की कलाकृति है।
सर पर ताज तो पैरो मे पड़ी जंजीरेे है।

अजीब माहौल है शहर का हादसे से भरा हुआ।
हरेक शख्स है अपनी ही नजरो मे गिरा हुआ।

जिंदगी भूत, वर्त्तमान और भविष्य मे कहीं रुकी नही।
भूत अतीत, भविष्य अजन्मा, वर्त्तमान कहीं फंसी रही।

लाश तो वक्त की भी होती है पर भयानक नही।
अपने भूत से कफन उठाकर सूंघते हम डरते नही।

अतीत जीवी हम भविष्य के कल्पना मे सपने बुनते रहे।
विडंबना यह वर्तमान मे केवल सांसो का बोझ ढोते रहे।

जीना है तो आओ वर्त्तमान मे जीना सीखो।
मै चर्वाक नही जो कहूं कर्ज लेकर घी पीओ।
मै चार्वाक नही

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