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टूटी हुई है नाव किनारा ना पूछिए#बुरा वक्त है हाल हमारा ना पूछिए

सबके हाल ठीक है सब ठीक-ठाक है।
सही है या गलत बात दुबारा न पुछिए ।

भरे पेट करते प्रभु के दर्शन ।
खाली पेट जूते की रखवाली।

साल बीतने से भी उनका होगा क्या ?
नया साल में जिनका जेब है खाली।
किनारा न पुछिए

बुरा वक्त हैं हाल हमारा न पुछिए।
टूटी हुई हैं नाव किनारा न पुछिए।

तिनका - तिनका जोड़ कर रखा था जिसे।
माल ले गए उनका नाम खुदारा न पुछिए।

हम बेरहम सही मगर यह महफूज जगह हैं।
गए तो होगा कितना मलाल दुबारा न पुछिए।

ऐसे वक्त में न आप पूछे हमसे कोई सवाल।
सपने भस्म हुए हवन से या कफन की आग।

तन - मन का बंटबारा कर जीवन को जी न पाया।
रिश्ते सौगंध भी झूठे सच की परिभाषा न पुछिए।

आंधी ऐसी चली सबकुछ जलकर राख हो गया।
उड़ते हुए  राख से अब उसका ठिकाना न पुछिए।

घर जलता रहा धू- धू कर जो तमाशबीन थे बने।
क्या हुआ उनको कोई मलाल खुदारा न पुछिए।

हम अब भी वहीं जनाब, बस किरदार बदल दिया।
क्यों बदले हैं हम किरदार उपर वाले से पूछिए।



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