बाहर पसरा हुआ है सन्नाटा , अंदर भरा हुआ है गुब्बार ।
कल तक तो पास-पास थे रहते ,आज हमारे बीच दिवार।
आई कैसे हैं ये दूरी तेरे- मेरे दरम्यान ।
धरती पटी हुई हैं लोगों से या केवल हैं निर्जीव लाश।
किसकी नज़र लगी धरा को, सबके सब हो रहे उदास।
राहें भी सुनसान पड़ी है, हो करोना तेरा कैसा संहार।
बंद किए सब दरबाजे हमने मंदिर मस्जिद गुरूद्वारो के।
खुद आ जाओ या फरिश्ते भेजो तुम इन्सान बचाने के।
खुल न पाएगा द्वार खुदा का तो इन्सान कहां जाएगा।
तेरा एक सहारा प्रभु जी धरा पर क्या फिर तू आएगा।
हम लड़ेंगे खूब लड़ेंगे मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे तेरे लिए।
धर्म पर लड़ लेंगे, रुको हमें लड़नी है ज़िन्दगी तेरे लिए।
जिंदगानी बचाने के लिए कहरे करोना से लड़ने के लिए।
हमें कामयाबी हासिल होगी यारों आपसबो के विश्वास से।
अब तू फरिश्ता बनकर आजा सूना सारा शहर पड़ा है।
तोड़ो न खुद को, तोड़ो न खुदा पर अपने विश्वास को ।
हम बैठे हैं घरों में वह जो सेवा में लगें उनपर रहम करो।
उनको सलामत रखना जो बंदों की खिदमत में हैं लगे।
उनके इस जज्बो को सलाम जो राह में खड़ा है।
दोस्ती एक रिश्ता है जो निभा दें वो फरिश्ता है।
करोना यहां होंगा फिर हम जमीन पर भला कहां होंगे।
काली अंधेरी रात है सबको एक नई सुबह का इंतजार।
हम फिर लड़ेंगे मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के लिए लड़ेंगे।
देश जाति धर्म के लिए आपस में जमकर लड़ेंगे।
अभी सब कुछ भूलकर करोना की जंग जीतेंगे।
हमें बचाने को वो जो घर से बाहर को जाएगे।
घर बैठे हम उनकी सलामती की दुआ मनाएंगे।
माफ़ कर दो खता जो हुई हो बख्श दो हमको खुदारा।
जानकर कुछ किया, कुछ अंजाने होगा अब न दुबारा।
कल तक तो पास-पास थे रहते ,आज हमारे बीच दिवार।
आई कैसे हैं ये दूरी तेरे- मेरे दरम्यान ।
धरती पटी हुई हैं लोगों से या केवल हैं निर्जीव लाश।
किसकी नज़र लगी धरा को, सबके सब हो रहे उदास।
राहें भी सुनसान पड़ी है, हो करोना तेरा कैसा संहार।
बंद किए सब दरबाजे हमने मंदिर मस्जिद गुरूद्वारो के।
खुद आ जाओ या फरिश्ते भेजो तुम इन्सान बचाने के।
खुल न पाएगा द्वार खुदा का तो इन्सान कहां जाएगा।
तेरा एक सहारा प्रभु जी धरा पर क्या फिर तू आएगा।
हम लड़ेंगे खूब लड़ेंगे मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे तेरे लिए।
धर्म पर लड़ लेंगे, रुको हमें लड़नी है ज़िन्दगी तेरे लिए।
जिंदगानी बचाने के लिए कहरे करोना से लड़ने के लिए।
हमें कामयाबी हासिल होगी यारों आपसबो के विश्वास से।
अब तू फरिश्ता बनकर आजा सूना सारा शहर पड़ा है।
तोड़ो न खुद को, तोड़ो न खुदा पर अपने विश्वास को ।
हम बैठे हैं घरों में वह जो सेवा में लगें उनपर रहम करो।
उनको सलामत रखना जो बंदों की खिदमत में हैं लगे।
उनके इस जज्बो को सलाम जो राह में खड़ा है।
दोस्ती एक रिश्ता है जो निभा दें वो फरिश्ता है।
करोना यहां होंगा फिर हम जमीन पर भला कहां होंगे।
काली अंधेरी रात है सबको एक नई सुबह का इंतजार।
हम फिर लड़ेंगे मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे के लिए लड़ेंगे।
देश जाति धर्म के लिए आपस में जमकर लड़ेंगे।
अभी सब कुछ भूलकर करोना की जंग जीतेंगे।
हमें बचाने को वो जो घर से बाहर को जाएगे।
घर बैठे हम उनकी सलामती की दुआ मनाएंगे।
माफ़ कर दो खता जो हुई हो बख्श दो हमको खुदारा।
जानकर कुछ किया, कुछ अंजाने होगा अब न दुबारा।
1 Comments
Great
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