तुम्हारी रूठने की कोई वजह तो होगी।
कोई ना कोई गुनाह मेरी भी तो होगी।
मुझे आपकी हर एक सजा कबूल होगी।
आपको मनाने की कोई तो तरकीब होगी।
जीतनी है अगर दुनिया जिद्द छोड़नी होगी।
महकती फिजा में हसीन ख्वाब तभी होगी।
हम भी क्या कभी इतने खुश नसीब होंगे।
जब आप और आपके वक्त मेरे करीब होंगे।
तू भी क्या हमसे उतना ही प्यार करते होंगे।
दर्द मेरे और आंसू तेरी आंखों में आए होंगे।
आपकी खासियत आपको भी गिनाने होंगे।
लगता है सूरज को अब दीप दिखाने होंगे।
कोई ना कोई गुनाह मेरी भी तो होगी।
मुझे आपकी हर एक सजा कबूल होगी।
आपको मनाने की कोई तो तरकीब होगी।
जीतनी है अगर दुनिया जिद्द छोड़नी होगी।
महकती फिजा में हसीन ख्वाब तभी होगी।
हम भी क्या कभी इतने खुश नसीब होंगे।
जब आप और आपके वक्त मेरे करीब होंगे।
तू भी क्या हमसे उतना ही प्यार करते होंगे।
दर्द मेरे और आंसू तेरी आंखों में आए होंगे।
आपकी खासियत आपको भी गिनाने होंगे।
लगता है सूरज को अब दीप दिखाने होंगे।
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