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अवसाद क्या है ? डिप्रेशन के लक्षण

आज के भौतिकवादी युग में अवसाद एक जाना पहचाना नाम हो गया है। हमारे देश में ही नहीं विदेशों में भी दिन प्रतिदिन डिप्रेशन की समस्या बढ़ती जा रही है।
समाज में व्याप्त बुराई व के बीच एक बुराई यह भी मानी जा सकती है कि लोग इसे और बिमारी की तरह नहीं लेते हैं और इसे छुपाने में विश्वास करते हैं जबकि यह मां की बीमारी के जैसे हैं एक बीमारी मात्र है।
वैसे सच में देखा जाए तो यह बीमारी है अभी नहीं। यह मात्र हमारे ब्रेन में केमिकल्स की असंतुलन है।
मेडिकल में इस कि 2 तरह से देखभाल की जाती है। पहली दवा से दिमाग में जो असंतुलित हो गए हैं केमिकल्स उनको संतुलित किया जाता है। दूसरी काउंसलिंग प्रभावित लोगों को उनकी बातों को सुनकर उनकी बातों पर ध्यान देकर और उन्हें तरह-तरह से सजेशन देकर कॉउन्सिलिग करके उन्हें सही करने का उपाय किया जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि कैसे यह समझा जाए कि हम खुद या हमारे परिवार में कोई सदस्य अवसाद से ग्रसित है।
वैसे तो बहुत हल्की सी लाइन होती है उदासी दुख तकलीफ और अवसाद के बीच में।
एक साधारण सा मानव भी उतना ही दुखी होता है किसी परेशानी से, उसे भी कम होते हैं तकलीफ होती हो है वह भी उदास हो जाता है किसी काम में मन नहीं लगता है और जो अवसाद ग्रस्त रहते हैं उनके साथ भी इस तरह का होता है।
परेसानी हर जगह हैं कहां पर नहीं है फर्क है जो साधारण मानव है वह समय के अनुसार उस पर काबू पा लेते हैं जो तकलीफ दुख दर्द उनके पास होते हैं उसे वह कुछ दिनों में भूल जाते हैं। अवसाद ग्रस्त लोगों में होता यह है कि वे अपनी पुरानी बातों को भूल नहीं पाते और उसी में उनका दिमाग लगा रहता है वह बार-बार हर समय पुरानी बातों को सोचते रहते हैं। इसी सोच के कारण उसम पड़े रहते हैं,और यह उदासी उनको 24 घंटे घेरे रहती है।
अब अवसाद ग्रस्त लोगों में अक्सर यह भी देखें देखा गया है उन्हें किसी चीज में इंटरेस्ट नहीं रह जाती, चाहे उनका हॉबी हो या फिर कोई काम हो रिश्ते हो कोई भी चीज में उनका मन नहीं लगता है।
अकेले में रहने की इच्छा उनकी प्रबल हो जाती है और वे ऐसा अकेले रहना ही पसंद करते हैं।
धीरे-धीरे हुए अपने आप से नफरत करने में लग जाते हैं। अपने को हर एक चीज के लिए जिम्मेदार मानना शुरू कर देते हैं कसूरवार खुद को खा जाते हैं जिसके कारण वे और भी हतोत्साहित होते चले जाते हैं। कभी-कभी है नेगेटिव सोच और अपने को सक्षम समझना कमजोर समझना हर काम के लिए असफलता के लिए अपने में दोस्त ढूंढना इतना तोड़ जाता है, उन्हें कि वे आत्महत्या करने तक सोच लेते हैं । सोच क्या लेते हैं कभी-कभी तो आत्महत्या कर ही लेते हैं।
अक्सर देखने में यह विलक्षण मिला है कि जो इस बीमारी से ग्रसित हैं वे भोजन कम करते हैं भोजन में उनकी रुचि नहीं रह जाती है जिसके कारण वे कमजोर हो जाते हैं दुबले पतले हो जाते हैं और अन्य बीमारी से भी ग्रसित हो जाते हैं।
दूसरी तरफ यह भी देखने में आता है कि वे बहुत ज्यादा भूख लगती है उन्हें और बहुत ज्यादा भोजन लेते हैं जिसके कारण मोटापा उन्हें घेर लेती है और वो और भी परेशान हो जाते हैं।
नींद अक्सर नींद की कमी हो जाती है नींद या तो उन्हें आती नहीं है, या आती है तो बहुत देर से आती है या फिर बीच में खुल जाती है भरपूर अच्छी नींद ना आवे ओ सो नहीं पाते हैं।
कभी-कभी किसी परीक्षा में असफल होने नौकरी में असफल होने या घर परिवार में लड़ाई झगड़े के कारण भी लोग अवसाद में जाते हैं, साथ किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए यह भी कारण हो सकता है अवसाद ग्रसित होने का। बात बस इतनी ही नहीं है कभी-कभी तो कुछ भी नहीं होता है फिर भी यह देखा गया है कि कुछ लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं उसमें बहुत सारी बातें हैं कुछ प्रकृति के तरफ से भी होता है बदलाव होता है शरीर में बदलाव होने के समय भी अक्सर जैसे मोनोपॉज के समय भी महिला है डिप्रेशन में चली जाती हैं।
आवश्यकता यह है कि पहले तो पहचान किया जाएगी क्या अमुक व्यक्ति डिप्रेस्ड है। यदि ऐसा कुछ भी दिखाई देता है तो घर परिवार सबसे नजदीक का संबंध होता है बहुत संभल के ऐसे लोगों के साथ अच्छी तरह से बात की जाए कॉन्सलिंग की जाए कराया जाए कि आप मेरे लिए कितने आवश्यक हो तो बहुत कुछ तो परेशानी यहीं से संभल जाएगी। साथ ही ढूंढा जाएगी किस काम में मन लगता है यानी हॉबी क्या है उस काम को करने में प्रोत्साहित किया जाए तो डिप्रेशन बगैर दवा के भी ठीक किया जा सकता है।
एकता यहां पर यह आवश्यक है कि जो आदमी खुद बीमार है उसको खुद भी अपने आप से संभालने की आवश्यकता है पॉजिटिव देखने की जरूरत है ताकि वह अपने आप को इसे बाहर निकाल सके।
नोट - विडियो आपको हैप्पी लाइफ विथ बोकारो गार्डन में जाकर देख सकते हैं।





What is Dipretion.

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