Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

जहांपनाह यह मेरी पत्नी है


 बात पुराने समय की है। श्याम प्रसाद एक गरीब आदमी था। श्याम प्रसाद के परिवार में कहने के लिए मात्र एक उसकी पत्नी थी। मेहनत मजदूरी करके वह लाता और उसी से दोनों का गुजारा होता था। दिन भर कड़ी मेहनत कर रामप्रसाद घर लौट तो उसकी पत्नी तरह-तरह के गहने जेवर की साड़ी के शिकायत किया करती थी। हर दिन के किस-किस से वह उब चुका था। पढ़ा लिखा तो था नहीं कि कुछ अलग सा काम करता जिससे काफी पैसे उसे घर में आ सकते हैं। बेचारा भला इंसान पत्नी की उलाहना सुनता और चुप रहता। 

जहां वह काम करता था वहां और भी मजदूर थे। 1 दिन उसके कान में आवाज आए बगल के गांव में लोग बहुत सुखी है। वहां के लोग काम ज्यादा नहीं करते और पैसे काफी कम आते हैं। मरता क्या न करता वह खुशी से नाच उठा। 

घर आकर उसने पत्नी से सारी बातें सुनाई और कहा कि चलो चल कर उस गांव में है मेहनत मजदूरी करेंगे। 

अच्छे दिन को आता हुआ देख पत्नी भी खुशी से नाच उठी। दोनों नए गांव में जाने का निश्चय कर लिए। 

उस गांव में पहुंचने के बाद श्याम प्रसाद ने देखा क्यों जो कुछ भी इस गांव के बारे में सुना था उससे भी बेहतर यह गांव है। वह गांव में एक किराए का मकान ले लिया। मकान मालिक भला आदमी था उसने श्याम प्रसाद को हिदायत दी - आप आ गए हो यहां तो कुछ दिन रहो किराए की भी मुझे आवश्यकता नहीं है। मेरे परिवार में कोई नहीं है मैंने अपने परिवार को बसाया ही नहीं है। मेरी मजबूरी है मेरे पुश्तैनी जमीन मकान यहां है। यहां का मालिक मूर्ख है। मैं यहां कदापि नहीं रहता अगर मेरे पुश्तैनी जमीन और मकान यहां नहीं रहते। 

मैं एक मूर्ख राजा के राज्य में रहता हूं इसलिए मैंने शादी भी नहीं की। यहां रहना मैं नहीं चाहता मजबूरी में रहता हूं। तुम कुछ दिन यहां रह कर सब कुछ समझ जाओगे।

श्याम प्रसाद काम पर जाता लौटकर आता तो बीवी को गले से लगाकर कहता यह देखो अपने दिन फिर गए कितने पैसे में 1 दिन में कमा लेता हूं जो वहां महीनों में नहीं कमा पाता था। 

अब जी भर कर दो पुआ पकवान बनाओ खाओ। जितना जी चाहे गहने कपड़े खरीदो। भगवान ने तुम्हें सुंदरता तो दी ही है अब तुम रानी के जैसी सजी सबरी रहा करो।

इस तरह से खुशी-खुशी उनके दिन पंख लगाकर उड़ते चले गए। बीच-बीच में उनका मकान मालिक पूछता था - भैया राम प्रसाद घर लौटने का कब विचार है। रामप्रसाद को उसकी यह बात अच्छी नहीं लगती थी। वह सोचता है ऐसी कोई परेशानी है तो खुद समझे मुझे क्यों यहां रुकने से रोक रहा है। मुझे तो लगता है यह या तो पागल है या मूर्ख है। यदि यह बार-बार इस तरह से मुझे तंग करेगा तो मुझे दूसरे जगह मकान लेकर चला जाना होगा। वह सोचता यहां से तो मैं अब जाने वाला नहीं हूं।

1 दिन रामप्रसाद अपने काम पर गया हुआ था। लौटकर आया तो देखता क्या है कि उसकी पत्नी पुके की फाड़- फाड़ कर रो रही है। पूछने पर पता चला क्यों उसकी मां नहीं रहीं। 

रामप्रसाद अपने मकान मालिक के पास जाकर बोला कि मैं 10 - 15 दिन के लिए अपने ससुराल जा रहा हूं। मेरी सास का निधन हो गया है । मेरी पत्नी बहुत घबरा रही है। 

रामप्रसाद और उसकी पत्नी अपने सामान के साथ घर से बाहर निकले ही थे कि मकान मालिक ने उनकी पत्नी का हाथ पकड़ लिया। 

रामप्रसाद तुम जा रहे हो तो जाओ तुम मेरी पत्नी को क्यों ले जा रहे हो। मान ले तो रामप्रसाद को लगा कि यह मजाक कर रहा है। उसने अपने चेहरे पर बनावटी हंसी लाते हुए कहा दोस्त यह समय हंसी मजाक करने का नहीं है। 

मकान मालिक की आवाज सुनकर वह दंग रह गया उसके आवाज में तल्खी आ गई थी। वह बोला मैं मजाक नहीं कर रहा हूं , तुम मेरी पत्नी को लेकर नहीं जा सकते। 

उसकी पत्नी जो उस समय से इन दोनों की बातें सुन रही थी झल्ला कर बोली यह क्या बोल रहे हैं भाई साहब आप। भगवान जानता है कि आपने मुझे बहन के समान समझा है और मैं भी आपको अपने भाई से कम नहीं मानती हूं। फिर यह किस तरह की बातें आप कर रहे हैं। 

मकान मालिक क्रोधित होते हुए बोला तुम तो इसकी तरफ से बोलो ही नहीं तुम मेरी पत्नी हो और मेरी ही पत्नी रहोगी। 

इस तरह से दोनों में बहस चलती गई रामप्रसाद धीरे धीरे गमगीन होता जा रहा था उसकी आवाज रूआंसी होती जा रही थी । उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करें। उसकी पत्नी नहीं हिम्मत बढ़ाई कहां गांव में पंचायत है। पंचायत से बात करो पंचायत को अपनी परेशानी बताओ। ऐसे कैसे वो है मुझे अपनी पत्नी बना कर रख लेगा। क्रमस:,,,,,

Post a Comment

0 Comments