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तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो, सुर - नर सब जिससे हार गए तू उसे मारने वाली हो

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

घर को सहेजती, संवारती, जोड़ती हो।

गारे - ईट के मकान को घर बनाती हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

घर को लिपती, बुहारती, पोछती हुई औरतों हो।

बिस्किट- पापड़ और अचार बनाते दिखती हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

घर के सब गंदे कपड़े धोते हुए भी मिलती हो।

आंखों में आंसू होठों पे हंसी लिए दिखती हो।

तुम औरत हो यह तुम तो जानती हो।

खाना बनाना, थाल सजाना तेरा काम है।

सबको खिला पिला कर बचा-खुचा खाती हो।

रात की बची रोटी  सब्जी सुबह को खाती हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

टूटा बटन फटी साड़ी की तुम तुरपाई टांका हो।

फटे थैले पर भी कभी पेबंद लगाते दिखती हो।

तोड़कर- जोड़कर- मोड़कर- छांटकर सब सहेजती हो।

खाली डब्बे बोतल प्लास्टिक के थैले भी संभालती हो।

सब सो जाएं तो सोना तेरे लिए मर्यादा कहलाता है।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

वक्त पर काम के लिए गुल्लक में पैसे भी निकालती हो।

छाटकर बीनकर धूप दिखाकर बर्बाद होने से बचाती हो।

अचार पापड़ बनाने के लिए तुम घंटों धूप में जाती हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

रिश्ते को अपनी उम्मीद से आखरी छोर तक ले जाती हो।

तुम से अहमियत घर की है मकान तो वैसे ही बन जाते हैं।

तुम लक्ष्मी हो,सरस्वती हो,अन्नपूर्णा घर की अहमियत हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

मां बनकर पूजी जाती बेटी बन लक्ष्मी कहलाती हो।

बहन बन रक्षिता पत्नी आधे अंग की अधिकारी हो।

वहशी दरिंदों के हाथों जीने का हक खोनेवाली हो।

तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।

कभी खुद जलती कभी धरती में समा जाती हो।

कभी दहेज की बलिवेदी पर भी जलाई जाती हो।

तुम याद करो ना हो सरस्वती केवल ।

ना केवल सीता सी भोली भाली हो।

तुम दुर्गा काली महिषासुर मर्दिनी वाली हो।

सुर नर सब हार गए तुम उसे मारने वाली हो।


तुम औरत हो यह तो तुम जानती हो।





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