बथुआ जो अक्सर आपके बगीचे में खुद व खुद उग आता है। बहुत उपयोगी पौधा है। बथूआ के हजारों बीमारियों में फायदे हैं। बथुआ को अनेक नामों से जाना जाता है गुजराती में इसे चील टांगो कहते हैं इसका वैज्ञानिक नाम चैनोपोडियम एल्बम है। अनेक नामों में क्षारपत्र ,चंदन बेथू नाम आपको हर जगह अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है।
आइए आज इसके बारे में बात करते हैं कि यह किन किन बीमारियों में उपयोगी है और किस तरह से इसका उपयोग करना है।
1) दांत - दांत के हर एक प्रकार की बीमारियों में बथुआ बहुत फायदेमंद है। दांत में पायरिया नामक रोग में यह लाभदायक है। दांत दर्द दांत में कीड़े लगना, पानी लगना या मुंह से बदबू आना सब में आप बथुआ का उपयोग कर लाभ ले सकते हैं।
बथुआ के पत्ते को सीधे दांत से चबाकर खाया जा सकता है।
बथुआ के बीज को पाउडर बनाकर इससे दांत साफ कर सकते हैं।
2) मूत्र रोग - रोग में बथुआ बहुत फायदेमंद है। पेशाब में किसी तरह की खराबी हो रुक- रुक कर पेशाब आता हो आप बथुआ का सब्जी बना कर खा सकते हैं। बथुआ के पत्ते और डंठल के रस 5 मिलीलीटर ले और उसमें मिश्री मिलाकर सेवन करें।
3) पेचिश - किसी को पेचिश की शिकायत है तो बद्दुआ का साग बनाकर उसमें देसी घी मिलाकर सेवन करें।
4) मोच - मोच आ जाए तो आप बथुआ के पत्ते को पीसकर उस जगह लगाए, आपको राहत महसूस हो जाएगी।
5) जलना - अगर आग से किसी तरह से भी जल जाते हैं तो आप उस पर बथुआ का पीसकर रस लगा सकते हैं।
6) ल्यूकोरिया - ल्यूकोरिया की बीमारी यदि हो तो आप 2 ग्राम बथुआ का जड़ यानी रूट दूध या पानी में वालों के 3 दिन तक सेवन करें।
7) जोड़ों का दर्द - दर्द या गठिया में आप बथुआ साग का उपयोग कर सकते हैं यह जोड़ों का दर्द, गठिया, अर्थराइटिस में बहुत फायदेमंद है।
8) खांसी - किसी को लंबे समय तक खांशी रह रही है तो वह बथुआ का साग बनाकर उसका सेवन करें निश्चित लाभ होगा।
9) नाक कान से खून बहना - यदि नाक या कान से खून आते हो तो बथुआ के बीज को चूर्ण बना लें और मधु के साथ सेवन करें।
10) पेट के कीड़े मारे - अक्सर बच्चे या बड़े को पेट में कीड़े हो जाते हैं। पेट में कीड़ा हो तो 5 से 10 मिलीलीटर रस निकाल दे उसमें नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
11) रोग रोधन क्षमता - आपको बता दूं कि बथुआ का साग आपके रोग रोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ा देता है। हमें बीमारियों से लड़ने में सहायता करता है।
12) कब्जियत - कब्जियत रहती है पेट साफ नहीं रहता है उनके लिए बथुआ का साग रामबाण है।
14) पथरी - पथरी शरीर में कहीं भी पथरी हो किडनी बगैरा मैं अक्सर पथरी की शिकायत सुनने को मिलती है बथुआ का साग यहां भी फायदेमंद है। 20 से 25 मिलीलीटर रस सुबह-शाम सेवन करें तो पथरी यानी स्टोन धीरे-धीरे टूटेगी और टूट गए समाप्त हो जाएगी।
15) वुद्धीवर्धक - बथूआ को बुद्धिवर्धक भी कहा गया है। जिस बच्चे का दिमाग कमजोर हो ,पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता हो उसके दिमाग को बथुआ का साग तेज बना देता है।
16) मासिक धर्म - महिलाओ को मासिक धर्म में परेशानी होती है। पेट या कमर में दर्द रहता है, मासिक धर्म में खून के थक्के बनकर आते हैं। यूट्रस कमजोर होती है। ऐसी हालत में बथुआ का साग बहुत फायदेमंद होता है। इसमें वो उपयोग करने के लिए बथुआ के बीज को कूटकर उसमें सोंठ कूट कर मिला लें। कूटे हुए पाउडर को सुबह-शाम दोनों वक्त ले।
17) जौंडिस - जॉन्डिस या पीलिया रोग में आप बथुआ के साथ का रस निकालकर सुबह शाम ले 20 - 20 से 25 या 30 मिलीलीटर हाथ में गिलोय का रस भी हो तो अति उत्तम।
18) प्रसूति - चेक को जन्म देने के बाद गर्भाशय में सूजन गंदगी का रह जाना संभव है जो अनेक बीमारियों को कष्टों को जन्म देता है। जो माताएं बच्चों को जन्म देती है उनको 20 ग्राम बथूआ बीज 5 ग्राम अजवाइन और गुड़ मिलाकर 10 से 15 दिन तक सेवन करना काफी फायदेमंद होता है।
19) बथुआ का साग बुद्धि वर्धक होने के साथ किडनी संबंधित परेशानी,अर्थराइटिस ,शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन, जोड़ों का दर्द या किसी प्रकार का भी दर्द, यूरिक एसिड ठीक करना, यूट्रस ,ओवरी में कैंसर के सेल को नष्ट करना, दांत की परेशानी से बचाना, खासी, पेचिश रोग में लाभदायक है।
20)- बथुआ का साग गर्भवती महिलाओं को वर्जित है। गर्भवती महिला बथूआ साग नहीं खाएं।
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