Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

बड़ी शिद्दत से संवारा जो पत्थर हमने


1) बड़ी शिद्दत से संवारा जो पत्थर हमने।

      देखते ही देखते वो तो खुदा बन गए।

2) बार- बार दरवाजे पर दस्तक सुनाई देती है।

    देखूं तो तू नहीं वहां मेरी ही तन्हाई होती है।

3) आज और कल में बस फर्क है इतना।

    फर्क जिंदगी और उम्मीद में है जितना।

4) महकते लफ्ज़ से सबको लगाव हो जाए।

    बहके लफ्ज़ अगर तो यारो घाव हो जाए।

5) किराए का मकान में लगाऐ पेड़ बड़े हो गए।

     मैं निकल कर आ गया साया वहीं रह गया।

6) न मैं बदला ना तुम बदले फिर ऐसा कैसे हो गया।

     अब पहले सा वो जूनुन पहले सी मुहब्बत न रहा।

7) मुझसे बिछड़ने के ख्याल से उनका डरना अच्छा लगा।

    रोटी कमाने अपने घर से बाहर जाना अच्छा लगा। 

    सबके साथ रोटी नहीं खाना भी अपना अच्छा लगा।

8) 

    




Post a Comment

0 Comments