सलामत रहे जिंदगानी तुम्हारी।
तेरी खुशी की फरियाद करते हैं।
ऐ खुदा उनकी झोली खुशियों से भर दो।
जो गाहे-बगाहे ही सही हमें याद करते हैं।
ऐ दिल अभी ठहर इक आवाज़ आ रही है।
हवा में फिर उनकी खुशबू सी आ रही है।
जिनको ढूंढते हमने बिताई कितने बरस।
आई है वो जिसके लिए गए थे हम तरस।
किसी को अब पूछो कहो क्या हाल है।
पलटकर वो पूछता कहो क्या काम है।
जिंदगी तू मुठ्ठी में भरी रेत सी फिसलती चलती गई।
शिकवे शिकायत थी बहुत फिर भी तू प्यारी लगी।
तमन्नाओं उम्मीदों भरी शुरुआत की जाए।
दीप जलाकर अंधेरे को तो मिटाया जाए।
अब तो खिंजा बदलें हर जगह बहार आ जाए।
ऐसा न हो पतझड़ के डर से बहार रूक जाए।
इस बार कुछ इस तरह नया साल मनाया जाए।
पुराने साल जैसा साल कभी लौटकर नहीं आए।
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