हुआ बहुत खिलवाड़ बच्चों अब तुम सब मेरे संग आ जाओ।
कम ना पड़े आक्सीजन का तुमको मेरा तुम हाथ बटाओ।
आम अमरूद जामुन कटहल नारंगी नींबू संतरा की पहचान बताओ।
फल-फूल भी नहीं देता फिर भी पीपल बरगद लगाओ।
ना पूजो तुम बरगद और पीपल ना तुलसी में जल चढ़ाओ।
मैं जो वृक्ष लगाता जाऊं तुम पानी उसमें तो देते जाओ।
ऊंचे-ऊंचे महल बनाने को बेधड़क ना पेड़ काटते जाओ।
सोफ़ा कुर्सी पलंग के खातिर ना धरती को सूनी करते जाओ।
ऐसा अगर रहा तो धरती श्मशानघाट बन जाएगी।
मूर्दा बेटे को लिए बैठी धरती मां दूध वख्श ना पाएगी।
मैं जो वृक्ष लगाता जाऊं तुम उसमें पानी देते जाओ।
जितने वृक्ष कांटे हैं तुमने उतना ही तुम लगाकर जाओ।
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