![]() |
सांसों को चलते रहने को हवा कम पड़ जाएगा |
सोचा ना था जिंदगी में कभी ऐसा मुकाम भी आएंगा।
कहते थे रहेंगे साथ वो ज़ुकाम के डर से भाग जाएंगे।
इक अदना सा वायरस तमाम इस क़दर छा जाएगा।
अपनी सलामती के लिए घर से निकलना मुहाल हो जाएगा।
सांसों को चलते रहने को एक दिन हवा कम पड़ जाएगा।
अपने को कैदी बना खुद पर पहरे लगाना मज़बूरी बन जाएगा।
यदि ना संभले हम अब भी तो जंग करोना जीत जाएगा।
हाथ मिलाकर गले लगानेवाला भी ना कंधा देने आएगा।
अपनी बेफिक्री ही हमें श्मशान कब्रिस्तान तक पहुंचएगा।
घर में रहे महफूज़ रहें दूरियां को ही दवा समझ जो पाएगा।
अपने लिए अपनों के लिए यह जंग जीत वह पाएंगे।🙏
0 Comments