वो कहते है तुम पागल हो तेरा कोई भरोसा नहीं।
बता दो उनको भरोसे ने ही मुझे पागल किया है।
खूबसूरती तो दिल और जमीर की अमानते ख़ुदा है।
अमानतें ख़ुदा को चेहरों में तलाशा नहीं करते।
जिंदगी के हरेक सवाल का तलाशती रही ज़बाब।
ज़बाब मिलने से पहले ही जिंदगी बदलती रही सवाल।
ना जाने ख़ुदा भी क्यों परखता रहता है मुझे।
किस्मत के किए फैसले कहां पसंद थे मुझे।
हौसले के बदौलत हर जंग में जीतते चले गए।
तमाम उम्र जिंदगी से यहीं जंग रही मैं रूकी वह बढ़ती चली गई।
मैं गिरता सम्भलता रहा पर जिंदगी बढ़ते चली गई।
उन्हें खौफे ख़ुदा है ख़ुदा कहीं देख ना ले।
मेरी आरज़ू रही ख़ुदा हर पल देखता रहे।
हौसले बुलंद रख बंजर जमीन से एक दिन पानी भी निकलेगा।
काली अंधेरी रातों से एक दिन सुनहरा दिन भी निकलेगा।
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