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दिल के घाव ना भरी महफिल में दिखाया जाए


रिश्तों को तौलना छोड़ रिश्तों को सम्मान दिया जाए।

अपनों को ही नहीं गैरों को भी गले से लगाया जाए।

दोस्तों को समझने की जरूरत है परखने में समय न गंवाया जाए।

अपने आंखों में पड़े तिनके पैरों के कांटे को निकाला जाए।

भूलकर भी दिल के घाव ना भरी महफिल में दिखाया जाए।

अपना लौटकर आएगा गैरों के लौटने की उम्मीद न पाली जाए।

अपना वजूद दांव पर तब तक ना लगाया जाए।

पहले हृदय में छुपे कपटी की फितरत को पहचाना जाए।

कौन कब मिलेगा कब बिछड़ेगा समय पर छोड़ा जाए।

जोड़ - घटाव करने में जिंदगी ना बिताया जाए।

उनके गली से मय्यत गुज़रने की चाह में बेमौत ना मरा जाए।


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