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जिंदगी की जंग मौत के संग जारी है



मुहब्बत को उस मुकाम पर लेकर जाउंगी।

तुम पुकारो तो सही क़ब्र से उठकर आउंगी।

कुदरत नवाजें तो इस तरह नवाजें मेरी मुहब्बत मुझे पुकारें।

जिंदगी की जंग मौत के साथ ज़ारी है ।

जिंदगी बता क्या कोई हसरत बाकी हैं।

खुदा हाफ़िज़ कहने से पहले कुछ अल्फाज अभी बाकी है।

किताब में रखें गुलाबों की खुशबू अभी भी बाकी हैं।

वो पहला ख़त जिसे हजारों बार पढ़ा

समझना अभी बाकी हैं। 


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